उपसर्ग और प्रत्यय कक्षा 9

Upsarg aur Pratyay Class 9

उपसर्ग : वे शब्दांश है जो किसी शब्द के आगे या आरंभ जुड़कर एक नए शब्द का निर्माण करते है तथा उनके अर्थ में परिवर्तन करते है, उन्हे उपसर्ग कहते है।

जैसे :-
आ + हार = आहार
वि + हार = विहार
आ + काश = आकाश
आ + कार = आकार
वि + चार = विचार

उपसर्ग के भेद :-
उपसर्ग के निम्नलिखित तीन भेद है :–
1. तत्सम उपसर्ग
2. तद्भव उपसर्ग
3. आगत उपसर्ग

1. तत्सम उपसर्ग : वह उपसर्ग जो संस्कृत से हिंदी में लाए गए है, उन्हे तत्सम उपसर्ग कहते है।
जैसे :-

उपसर्गअर्थउदाहरण
निनीचे, अभावनिवारण
उपसमीपउपकार
प्रतिविरुद्धप्रतिक्रिया
सुअच्छासुगम, सुपुत्र
तक, भरआजीवन

2. तद्भव उपसर्ग : यह उपसर्ग पूरी तरह से संस्कृत के उपसर्ग से ही आए है, इन्हे ही हिंदी उपसर्ग भी कहते है।
जैसे :-

उपसर्गअर्थउदहारण
अभावअगर, अकास
अनआधाअधपका, अधमरा
कुबुककुपुत्र
दुहीन, अधिकदुबला, दुसर
परबाद कापरसर्ग, परदेश

3. आगत उपसर्ग : जो उपसर्ग विदेशी भाषाओं से हिंदी में शामिल किए गए है, उन्हे आगत उपसर्ग कहते है।
जैसे :-

उपसर्गअर्थउदहारण
खुशअच्छाखुशबू, खुशहाल
गैरबिनागैरहाजिरी, गैरकानूनी
कमथोड़ाकमज़ोर, कमसिन
अलनिश्चितअलबेला, अलगाव
बदबुराबदबू, बदनाम

प्रत्यय : जो शब्दांश दूसरे शब्द के अंत मे जुड़कर, अपनी प्रकृति के अनुसार नए शब्द बनाते है, उन्हे प्रत्यय कहते है।
जैसे :- अक + चल = चलाक
आपा + बु = बूढ़ापा
ई + खेत = खेती

प्रत्यय के भेद :-
प्रत्यय के निम्नलिखित दो भेद है :–
1. कृत् प्रत्यय
2. तद्धित प्रत्यय

1. कृत् प्रत्यय : जो प्रत्यय शब्दांश के अंत में जुड़कर नए शब्द बनाते है, उन्हे कृत् प्रत्यय कहते है।

कृत् प्रत्यय के भेद :-
कृत् प्रत्यय के निम्नलिखित पांच भेद है :–
1. कर्तृवाचक
2. कर्मवाचक
3. करणवाचक
4. भाववाचक
5. विशेषणवाचक

1. कर्तृवाचक –

प्रत्ययकरतृवाचक संज्ञाएँ
अकचालक, गायक
आकापढाका, धमाका
मारू, रट्टू

2. कर्मवाचक –

प्रत्ययकरतृवाचक संज्ञाएँ
औनाबिछौना
नीओढ़नी, सूँघनी
नागाना

3. करणवाचक –

प्रत्ययकरतृवाचक संज्ञाएँ
भूला, ठेला
झाड़ना
नीचटनी, सूँघनी

4. भाववाचक –

प्रत्ययकरतृवाचक संज्ञाएँ
कथा, तृषा
आपमिलाप
आपापुजापा

5. विशेषणवाचक –

प्रत्ययकरतृवाचक संज्ञाएँ
आलुकृपालु
चाकू, काकू

2. तद्धित प्रत्यय : जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण शब्दों के अंत मे जुड़कर नए शब्दों का निर्माण करते है , उन्हे तद्धित प्रत्यय कहते है।

तद्धित प्रत्यय के भेद :-

तद्धित प्रत्यय के निम्नलिखित भेद है :–

1. कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
2. संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय
3. विशेषणवाचक तद्धित प्रत्यय
4. स्त्रीलिंगवाचक तद्धित प्रत्यय
5. उर्दू के प्रमुख तद्धित प्रत्यय
6. भाववाचक तद्धित प्रत्यय
7. लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय
8. स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय
9. बहुवचन बनाने वाले तद्धित प्रत्यय

1. कर्तृवाचक –

प्रत्ययशब्दरूप
इयामुखिया, रसिया
भेदी, देहाती

2. भाववाचक –

प्रत्ययशब्दरूप
तासुन्दरता, मूर्खता
आसखटास, मिठास

3. सम्बन्धवाचक –

प्रत्ययशब्दरूप
ईलारसीला, रंगीला
इकशारीरिक

4. अप्रत्यवाचक –

प्रत्ययशब्दरूप
दाशरथि, वाल्मीकि
एयकौन्तेय

5. ऊनतावाचक-

प्रत्ययशब्दरूप
टोकरी, पहाड़ी, घण्टी
इयाखटिया, लुटिया, डिबिया
ओलाखटोला, संपोला, पटोला

6. स्त्रीबोधक –

प्रत्ययशब्दरूप
आइनमुंशिय
सुता,छात्रा, अनुजा

7. उर्दू प्रत्यय
हिंदी व्याकरण में उर्दू के कुछ प्रत्यय भी प्रचलित है:-
गर = जादूगर, बाजीगर, कारीगर, सौदागर
दार = दुकानदार, मालदार, हिस्सेदार

अभ्यास – माला

1. उपसर्ग किसे कहते है? उदहारण सहित।

उत्तर: जो शब्दांश किसी शब्द के पहले जुड़कर नए शब्द बनाते है तथा उसके अर्थ में परिवर्तन करते हैं, उन्हे उपसर्ग कहते हैं।

उदहारण: प्रति + हार = प्रतिहार।

2. प्रत्यय किसे कहते है? उदहारण सहित।

उत्तर: जो शब्दांश किसी शब्द के अंत या पीछे जुड़कर नए शब्द बनाते हैं तथा उनके अर्थ में भी परिवर्तन करते हैं, उन्हे उपसर्ग कहते हैं।

उदहारण: दैन + इक = दैनिक।

3. उपसर्ग और प्रत्यय मे अंतर स्पषट कीजिए।

उत्तर: उपसर्ग – जो शब्दांश किसी शब्द के आरंभ या पहले जुड़कर नए शब्द बनाते हैं तथा उसके अर्थ में परिवर्तन करते हैं, उसे उपसर्ग कहते हैं।

उदहारण: प्रति + हार = प्रतिहार।

प्रत्यय – जो शब्दांश किसी शब्द के अंत में जुड़कर नए शब्द बनाते तथा उसके अर्थ में परिवर्तन करते हैं, उसे उपसर्ग कहते हैं।

उदहारण: दैन + इक = दैनिक।

4. निम्नलिखित उपसर्गो से नए शब्द बनाइए।
आ, परा

उत्तर: आपका, परम्परा।

5. निम्नलिखित प्रत्ययो से नए शब्द बनाइए।
ता, वान

उत्तर: अनुकूलता, अनुदारता।

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