समास (परिभाषा, भेद और उदाहरण) Class 9

Samas in Hindi Grammar Class 9

समास (Samas) एक से अधिक शब्दों को एक शब्द में संक्षिप्त कर देने को ही समास कहते हैं।

या

दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से नवीन शब्द बनने की प्रक्रिया समास कहते है।

समास हेतु पद– समास के लिए दो पद का होना आवश्यक है। पहले पद को पुर्वपद और दूसरे पद को उत्तर पद कहते है।

 जैसें- 

  1. माखन को चुराने वाला – माखनचोर 
  2. दस है आनन (मुख) जिसके वह- दशानन
  3. घोड़े पर सवार- घुडसवार

सामासिक पद : दोनों पदों के मेल से बने शब्द समस्त-पद या सामासिक पद कहलाते हैं।

जैसे-

पूर्वपद + उत्तरपद  = समस्त / सामासिक पद 

नील  + कमल    = नीलकमल 

देश।  + भक्ति   = देशभक्ति  

समास-विग्रह- जब समस्त पद के पूर्वपद और उत्तरपद अलग-अलग किया जा सके इस प्रक्रिया को समास-विग्रह कहते हैं।

जैसे-

समस्त पदसमास-विग्रह
हाथी-घोड़ेहाथी और घोड़े 
गजाननहाथी के समान मुंह वाला (गणेश)

समास के भेद: समास के छह भेद होते हैं-

1. अव्ययीभाव समास

2. तत्पुरुष समास

3. कर्मधारय समास

4. द्विगु समास

5. द्वंद्व समास

6. बहुव्रीहि समास 

  1. अव्ययीभाव समास-जिस समास में पहला पद प्रधान या अव्यय होता है तथा समसतपद अव्यय बन जाता हैं। यह अव्ययीभाव समास कहलाता है। जैसे-
समस्तपदउत्तरपदपूर्वपदसमास – विग्रह
यथाशक्तियथा शक्तिशक्ति के अनुसार 
प्रतिदिनप्रति दिनप्रत्येक दिन 
हाथोंहाथहाथोंहाथहाथ ही हाथ में

इन सभी शब्दों (पदों) में पहला पद यथा, प्रति और हाथों – अव्यय हैं। इन अव्य्यों के योग से समस्तपद के रूप में प्रयोग किया जाता है। अत: इन सब में अव्ययीभाव समास है।

2. तत्पुरुष समास –जिस समास में दूसरा.पद (उत्तर पद) प्रधान होता है और समस्तपद बनाते समय दोनों पदो के बीच के कारक-चिह्न (परसर्ग) का लोप होता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे-

समस्तपद पूर्वपदउत्तरपद समास-विग्रह
देश भक्तिदेशभक्ति देश के लिए भक्ति
राष्ट्रपिताराष्ट्रपिताराष्ट्र का पिता
वनवासवन वास वन में वास
राहखर्चराह खर्चरह के लिए खर्

3. कर्मधारय समास –जिन समस्त पदों के दोनों पदों में विशेषण-विशेष्य का संबंध होता है। उन्हें कर्मधारय समास कहते हैं। जैसे:- 

समस्त पद पूर्वपदउत्तरपदसमास-विग्रह
नीलकंठनीलकंठ नीला है जो कंठ
चंद्रमुखी चंद्रमुखीचंद्रमा के समान मुंह वाली
महादेवमहादेवमहान है जो देव
नीलगायनीलगायनीली है जो गाय

उपर्युक्त सभी समस्त पदों में आपने देखा कि उनका पहला पद दूसरे पद की विशेषता बता रहा है अर्थात् पहला (पूर्व) पद विशेषण है और दूसरा (उत्तर) पद विशेष्य।

4. द्विगु समास – जिस शब्द का पहला पद संख्यावाची हो और समस्तपद समूह का बोध कराता हो, उसे द्विगु समास कहते हैं। जैसे:- 

समस्तपदपूर्वपद उत्तरपदसमास-विग्रह
सप्तसिंधुसप्तसिंधुसात सिंधुओं का समूह
नवग्रहनवग्रहनौ ग्रहों का समाहार
पंचतत्वपंचतत्वपांच तत्वों का समूह
त्रिनेत्रत्रिनेत्रतीन नेत्रों का समाहार

उपर्युक्त समस्त पदों में हमने देखा कि पूर्वपद संख्यावाची विशेषण है और समस्तपद समूह का बोध करा रहा है।

समास के कुछ अन्य उदाहरण:

(क) अठन्नी – आठ आनो का समूह 

(ख) त्रिभंगी – तीन भंगिमाओं का समाचार

(ग) सप्ताह – सात दिनों का समूह 

(घ) नवरात्र – नौ रात्रियों का समूह

(ड) चतुर्भुज- चार भुजाओं का समाहार

(ब) पंजाब – पांच नदियों का समूह

5. द्वंद्व समास – जिन समस्त पदों में दोनों पद प्रधान हो और उनके विग्रह में ‘और’ अथवा ‘या’ लगता हो, उसे द्वंद्व समास कहते हैं।

जैसे-

समस्तपद पूर्वपदउत्तरपदसमास-विग्रह
दिन-रातदिनरातदिन और रात
माँ-बापमाँबापमाँ और आप
ऊँचा-नीचाऊँचानीचा ऊँचा या निचा
पाप-पुण्यपापपुण्यपाप और पुण्य
राजा-रंकराजारंकराजा और रंक

उपर्युक्त समस्तपदों में पूर्वपद और उत्तरपद दोनों ही प्रधान है इनका विग्रह करने पर ‘और’, ‘या’ लगाते हैं।

6. बहुव्रीहि समास – जिस समस्तपद का कोई पद प्रधान न हो और दोनों पद मिलकर किसी अन्य अर्थ का बोध कराएँ, उन्हें बहुव्रीहि समास कहते हैं। जैसे:-  

क)  नीलकंठ –  कंठ नीला है जिसका, अर्थात् शिव।

ख)  महात्मा – महान आत्मा है जिसकी, अर्थात् साधु।

ग) दशानन – दस है आनन जिसके, अर्थात् रावण।

घ) लंबोदर – लंबा है उदर जिसका, अर्थात् गणेश।

उपर्युक्त समस्त पदों में दोनों ही पद प्रधान नहीं है। यहाँ दोनों पदों के माध्यम से किसी तीसरे की बात कही गई है।

बहुव्रीहि और कर्मधारय समास में अंतर

बहुव्रीहि समास और कर्मधारय समास में दो तरह से अंतर किया जा सकता है- 

1. कौन-सा शब्द किस समास का उदाहरण है यह विग्रह को देखकर किया जाता है।

2 कर्मधारय समास में पूर्वपद और उत्तरपद में विशेषण-विशेष्य का संबंध होता है, जबकि बहुव्रीहि समास में दोनों ही पद प्रधान न होकर कोई अन्य पद प्रधान होता है। 

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