पाठ : 4 गूंगे (सारांश) Class 11

Chapter – 4 Gunge Class 11 Hindi (Antra) Summary

लेखक-

रांगेय राघव

लेखक ‘रांगेय राघव’ जी द्वारा रचित गूंगे कहानी में एक किशोर गूंगे बच्चे के माध्यम से शोषित , पीड़ित मानव  की स्थिति का चित्रण किया गया है।

ऐसे विकलांगों के लिए व्याप्त संवेदनहीनता को रेखांकित किया गया है। ऐसे मनुष्य जो देखते , बोलते व सुनते हुए भी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते उन्हें गूंगे और बहरे कहा गया है। इसीलिए कहानी का शीर्षक ‘गूंगे’ पूर्णतया सार्थक है।

लेखक ‘रांगेय राघव ’ जी द्वारा रचित कहानी का प्रमुख पात्र गूंगा किशोर है। वह जन्म से वज्र बहरा होने के कारण गूंगा है। वह गूंगा किशोर बहुत मेहनती , स्वाभिमानी तथा तीव्र वाला बुद्धि है। वह एक ही तरह से बात करता है हाथ के इशारे से।

वह हाथ के इशारों से बताता है कि जब वह छोटा था तब उसकी मां उसे छोड़कर चली गई थी। वह उसे छोड़कर इसलिए गई थी , क्योंकि उसके पिता की मृत्यु हो चुकी थी। गूंगे के परिवार में उसके माता-पिता तथा बुआ-फूफा थे। पिता के मरने तथा उसकी माता के छोड़कर चले जाने के बाद उसे उसके बुआ-फूफा ने पाला था।

गूंगा इशारों में यह भी बताता है कि बचपन में किसी ने गला साफ करने की कोशिश में उसके काकल को ही काट दिया था। फिर वह बताता है कि वह किसी से भीख नहीं लेता मेहनत का खाता है। उसे उसके बुआ-फूफा बहुत मारते थे इसलिए अब वह वापस नहीं जाना चाहता क्योंकि वह चाहते थे कि गूंगा पल्लेदारी करके पैसा लाकर उन्हें दे।

चमेली बहुत भावुक महिला थी। उसने गूंगे की भावनात्मक कहानी सुनकर उसे ₹4 और खाने पर नौकरी पर रख लिया। चमेली की पड़ोसिन सुशीला ने उसे सावधान किया कि बाद में पछताओगी , यह कहकर कि भला यह गूंगा क्या काम कर लेगा। तब गूंगा एक दिन भाग गया। सबके खाना खा चुकने के बाद गूंगे ने आकर इशारे से खाना मांगा। तब चमेली ने गुस्से में रोटियां उसके आगे फेंक दी। तब पहले तो गूंगे ने गुस्से में रोटी छुई तक नहीं पर फिर ना जाने क्या सोच-विचार करके उसने रोटियां उठा कर खा ली फिर तो गूंगा घर से अक्सर भाग जाता था।

चमेली के दो बच्चे थे एक पुत्र जिसका नाम बसंता और दूसरी पुत्री जिसका नाम शकुंतला था। एक बार चमेली के पुत्र बसंता ने कसकर गूंगे को थप्पड़ जड़ दिया , तब गूंगे का हाथ भी उठ गया फिर ना जाने क्या सोचकर वह रुक गया। गूंगे की आंखों में तो जैसे बाढ़ भी आ गई और वह रोने लगा। तभी अंदर से चमेली आई और पूछने पर बसंता बताता है कि गूंगा उसे मारना चाहता था। गूंगा सुन नहीं सकता पर चमेली के भाव-भंगिमां से सब कुछ समझ जाता है।

चमेली ने गूंगे को मारने के लिए हाथ उठाया तो गूंगे ने उसका हाथ पकड़ लिया और चमेली को लगा जैसे उसके पुत्र ने उसका हाथ पकड़ लिया हो। चमेली ने गुस्से से अपना हाथ छुड़ा लिया और उसने सोचा कि यदि उसका बेटा भी गूंगा होता तो वह भी ऐसे ही कष्ट उठाता।

गूंगे के हाथ पकड़ने से चमेली को उसके शारीरिक बल का अंदाजा तो हो ही गया था की गूंगा बसंता से कहीं अधिक ज्यादा बलवान है। लेकिन फिर भी गूंगे ने बसंता पर हाथ नहीं छोड़ा  इसलिए कि बसंता बसंता है और गूंगा गूंगा ……। परंतु पुत्र की ममता ने इस पर चादर डाल दिया।

चमेली ने एक बार फिर घृणा से विक्षुब्ध गूंगे से कहा- क्यों रे , तू ने चोरी की है? गूंगा तो गूंगा था और उसके साथ-साथ बहरा भी वह चुप हो गया। फिर चमेली ने गूंगे का हाथ पकड़कर घर से धक्के मार कर बाहर निकलने को कहा। गूंगे की समझ में कुछ नहीं आया। चमेली उस पर खूब चिल्लाई , उसे बहुत बुरा-भला भी बोला , लेकिन जैसे कोई पुतला उत्तर नहीं देता वैसे ही उसने भी कुछ नहीं कहा।

गूंगे को बस इतना समझ आ रहा था की मालकिन बहुत गुस्से में है और उसे घर से निकलने को बोल रही है। गूंगे को यह सब अविश्वसनीय लग रहा था उसे चमेली का यह बर्ताव बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। अंत में चमेली ने उसे हाथ पकड़ कर व धक्के मार कर दरवाजे से बाहर धकेल दिया।

तब लगभग 1 घंटे बाद चमेली की पुत्री शकुंतला और पुत्र बसंता चमेली को  चिल्ला-चिल्ला कर पुकारने लगे- ‘अम्मा ! अम्मा ! ’
चमेली ने देखा गूंगा खून से लथपथ था। उसका सिर फटा हुआ था तथा रक्त बह रहा था।
हुआ यह था कि वह गूंगा सड़क पर रहने वाले लड़कों से पिट कर आया था , क्योंकि वह गूंगा होने के कारण उनसे दबना नहीं चाहता था। गूंगा चमेली के घर के दरवाजे की दहलीज पर सिर रखकर किसी जानवर की भांती चिल्ला रहा था।

चमेली तो जैसे मूर्ति बन गई थी वह चुप-चाप देखती रही। चमेली सोचती रही कि आज के दिन ऐसा कौन है जो गूंगा नहीं है। यह गूंगा बच्चा भी बड़ा असहाय अवस्था में है जो किसी को अपना दर्द नहीं बता सकता और दूसरी ओर हम और हमारा समाज जो ऐसे लोगों की मदद ना करके उन्हें नजरअंदाज करते हैं वह भी गूंगे हैं। गूंगा भी स्नेह चाहता है , सम्मान चाहता  है।

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