आधुनिक विश्व में चरवाहे Social Science History in Hindi Medium NCERT Solutions for Class 9

आधुनिक विश्व में चरवाहे प्रश्न और उत्तर Class 9

प्रश्न 1. स्पष्ट कीजिए कि घुमंतू समुदायों को बार-बार एक जगह से दूसरी जगह क्यों जाना पड़ता है?इस निरंतर आवागमन से पर्यावरण को क्या लाभ है?

उत्तर. जब वर्षा नहीं होती है, चरागाह सूख जाते हैं तो पशुओं के लिए भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। यही कारण है कि घुमंतू समुदायों को, जो चरवाही से अपना जीवन यापन करते हैं, एक जगह से दूसरी जगह तक घूमते रहने की आवश्यकता पड़ती है।

उनके निरंतर आवागमन के पर्यावरणीय लाभ निम्न हैं:

(क) उनके आवागमन के कारण प्राकृतिक वनस्पति को दोबारा वृद्धि करने का मौका प्राप्त होता है।
(ख) उनके मवेशियों को हरा-भरा नया चारा प्राप्त होता है। तथा
(ग) मवेशी खेतों में घूम-घूम कर गोबर देते रहते हैं। जिससे कृषि योग्य भूमि की उर्वरता बनी रहती है।

प्रश्न 2. इस बारे में चर्चा कीजिए कि औपनिवेशिक सरकार ने निम्नलिखित कानून क्यों बनाए? यह भी बताइए कि इन कानूनों से चरवाहों के जीवन पर क्या असर पड़ा:
(क) परती भूमि नियमावली
(ख) वन अधिनियम
(ग) अपराधी जनजाति अधिनियम
(घ) चराई कर

उत्तरः
(क) परती भूमि नियमावली: औपनिवेशिक अधिकारियों को सभी गैर-कृषि भूमि अनुपजाऊ लगी। इस पर न तो कृषि की जाती थी और न ही कोई आय होती थी। यह बेकार बंजर अथवा परती भूमि थी। 19वीं शताब्दी के मध्य से बंजर भूमि के कानून बनाए गए। इन कानूनों के अंतर्गत बंजर भूमि को ले लिया गया एंव उसे कुछ चुने हुए लोगो को दे दिया गया। इनमें से कुछ गांव के मुखिया थे। इनमें से कुछ भागों में वास्तव में चरागाह भूमि थी। परिणाम यह निकला कि चरागाह भूमि की कमी हो गई।

(ख) वन अधिनियम : उपनिवेश शासन के समय बहुत से अधिनियम बनाये गए। इन कानूनों के द्वारा कुछ वन जो बहुमूल्य व्यापारिक लकड़ी पैदा करते थे जैसे देवदार या साल, उनको आरक्षित कर दिया गया। इन पर कोई चराई का काम नहीं किया गया। दूसरे वनों को वर्गीकृत किया गया। इनमें जानवरों को चराने के कुछ अधिकार दे दिए गए। उपनिवेश अधिकारी विश्वास करते थे कि चराई से पौधों की जड़े खत्म हो जाती हैं।

(ग) अपराधी जनजाति अधिनियम : 1871 में उपनिवेशी सरकार ने अपराधी जनजाति कानून पास किया। इस कानून के द्वारा दस्तकारों, व्यापारियों, चरवाहों की कुछ जातियों को अपराधी जाति में वर्गीकृत किया। उनको जन्म और प्रकृति से ही अपराधी बताया गया। एक बार एक कानून लागू होने से ये जातियाँ विशेष वर्गीकृत बस्तियों में रहने लगी। बिना आज्ञा के उन्हें दुसरे स्थानों पर जाने की मनाही थी। गाँव की पुलिस भी उन पर लगातार नजर रखती थी।

(घ) चराई कर: उपनिवेशी सरकार अपनी आय बढ़ाने के लिए हरेक संभव संसाधन पर अपनी नज़र रखती थी। इसलिए भूमि पर, नहर के जल पर, नमक और यहाँ तक कि जानवरों पर भी कर लगाया गया। चरवाहों को प्रत्येक जानवर पर जिसे वे चरागाह में चराते थे कर देना पड़त था।

प्रश्न 3. मासाई समुदाय के चरागाह उससे क्यों छिन गए? कारण बताएं।

उत्तर. मासाई, पूर्वी अफ्रीका का एक प्रमुख चरवाहा समुदाय है। औपनिवेशिक शासन काल में मासाई समुदाय के चरागाहों को निम्न कारणों से कम कर दिया गया:

(क) कृषि क्षेत्रों का विस्तार: ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार ने पूर्वी अफ्रीका में स्थानीय किसानों को कृषि क्षेत्र का विस्तार करने के लिए प्रेरित किया। कृषि क्षेत्रों का विस्तार करने के लिए चरागाहों को कृषि क्षेत्रों में बदल दिया गया। जिसके कारण चरागाह शीघ्रता से कम होने लगे।

(ख) औपनिवेशिक विभाजन: सन् 1885 में ब्रिटिश कीनिया और जर्मन उपनिवेशों के मध्य एक अंतर्राष्ट्रीय टांगानिका सीमा खींचकर मासाई लैंड के दो समान टुकडे कर दिए। बाद के सालों में गोरों को बसाने के लिए बेहतरीन चरागाहों को अपने कब्जे में ले लिया।

(ग) चरागाह क्षेत्रों का सीमित होनाः
औपनिवेशिक शासन द्वारा मासाईयों को दक्षिण कोरिया और उत्तरी तंजानिया के छोटे से इलाके में समेट दिया गया। उनके चरागाहों का लगभग 60% भाग उनसे छीन लिया गया। उन्हें एक ऐसे इलाके में कैद कर दिया गया जहाँ न तो अच्छी बारिश होती थी और ही हरे-भरे चरागाह थे।

(घ) परमिट व्यवस्था: पशुचारण के लिए कुछ क्षेत्रों को आरक्षित कर दिया गया। इन सीमाओं से बाहर जाने के लिए परमिट व्यवस्था लागू की गई।

प्रश्न 4. आधुनिक विश्व ने भारत और पूर्वी अफ्रीका चरवाहा समुदायों के जीवन में जिन परिवर्तनों को जन्म दिया उनमें कई समानताएं थीं। ऐसे दो परिवर्तनों के बारे में लिखिए जो भारतीय चरवाहों और मासाई गड़रियों, दोनों के बीच समान रूप से मौजूद थे।

उत्तर. ऐसे दो परिवर्तन जो भारतीय चरवाह समुदायों तथा मासाई पशुपालकों के लिए समान थे, निम्नलिखित हैं:
(क) भारतीय चरवाहा समुदायों तथा मासाई पशुपालकों दोनों को अपने-अपने चरागाहों से बेदखल कर दिया गया था। जिसका अर्थ था दोनों के लिए चारे की कमी तथा जीवन-यापन की समस्या का पैदा होना।
(ख) भारतीय चरवाहा समुदाय तथा मासाई पशुपालन दोनों की ही जीवन यापन के लिए समान कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। जब वनों को ‘सुरक्षित’ घोषित कर दिया गया तथा इन्हें उनमें प्रवेश करने पर मनाही कर दी।

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