माता का आंचल प्रश्न और उत्तर Class 10

NCERT Solutions for Class 10 Hindi (kritika) Chapter – 1 Mata ka Anchal Questions and Answers

माता का आंचल

लेखक – शिवपूजन सहाय

प्रश्न–अभ्यास

पृष्ठ-संख्या

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Question: 1 प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था , फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है?

Answer :

यद्यपि पिता और पुत्र में गहरा प्रेम था। पिता उसे सुबह से शाम तक अपने साथ रखते थे , उसके खेलों में शामिल होकर मित्र की भूमिका निभाते , किंतु मां जैसी कोमलता और ममता उनके पास नहीं थी। जिसकी जरूरत उस समय बच्चे को थी। घबराए हुए बच्चे को अंग लगाना , उसको आँचल में छिपाना , आँखों में आँसू भर लाना , लाड से गले लगाना जैसे भाव माँ के पास ही होते है। बच्चे के लिए माँ , पिता से नौ माह बड़ी होती है। संतान से माँ का सम्बन्ध नौ माह पूर्व ही जुड़ जाता है जब मृत्यु जैसी आपदा सर्प के रूप में सामने आती है तो वह माँ की गोद में ही प्राणरक्षा के लिए दौड़ता चला जाता है। माँ की शीतल छाया में ही वह अपने आप को सुरक्षित महसूस करता है।

Question: 2 आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है?

Answer :

बच्चे स्वभाव से भोले होते हैं। वे जितनी जल्दी रूठते है , उतनी ही जल्दी बात को भूल भी जाते है। उनका दुख क्षणिक होता है कोई भी भाव उनके मन में स्थाई रूप से नहीं टिकता अत: अपने साथियों को देखकर भोलानाथ गुरुजी से पिटने का दुख भूल गया और उनके साथ खेलने लगा। इसके अलावा खेल बच्चों को अत्यंत प्रिय होता है खेल में मिलने वाले आनंद की कल्पना ने ही भोलानाथ को सिसकना भुला दिया।

Question: 3 आपने देखा होगा कि भोलानाथ और उसके साथी जब-तब खेलते-खाते समय किसी न किसी प्रकार की तुकबंदी करते हैं। आपको यदि अपने खेलों आदि से जुड़ी तुकबंदी याद हो तो लिखिए।

Answer :

1. आओ हम सब खेले खेल खूब चलाएं अपनी रेल , रेल में बैठा हाथी हस रहे सब साथी।

2. काले मेघा पानी दे , पानी दे गुड़धानी दे।

3. अक्कड़ बक्कड़ बम्बे बो , अस्सी नब्बे पूरे सौ , सौ में लगा धागा , चोर निकल के भागा।

Question: 4 भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपकी खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न?

Answer :

भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री हमारे खेल और खेलने की सामग्री से अधिक भिन्न है। पहले बच्चे अपने घर से बाहर दूर-दूर तक जाकर खेलते थे , माता-पिता को चिंता नहीं होती थी और न ही किसी प्रकार का कोई डर होता था। बच्चे टूटे-फूटे बरतनों या व्यर्थ पड़े सामान से खेलते थे अधिकतर खेल खेतों , मैदानों या खुले स्थानों पर होते थे। खेल सामुहिक रूप से खेले जाते थे , लेकिन अब समय बदल गया है।

आजकल माता-पिता बच्चों को अपनी आँखों से दूर नहीं करना चाहते। खिलौनों का भी रूप बदल गया है अब प्लास्टिक और इलैक्ट्रोनिक्स के महंगे-महंगे खिलौने आ गए है। आजकल बच्चों के खेल बंद घरों के भीतर ही एकांत में खेले जाते है। जिससे उनमें एकाग्रता की भावना बढ़ती जा रही है। भोलानाथ के समय के बच्चों के खेलों की सामग्री और साधन भी अलग थे ; जैसे चबूतरा , सरकंडे , टूटी चूहेदानी , गीली मिट्टी , टूटे हुए घड़े के टुकड़े , पुराने व टूटे हुए कनस्तर आदि। आजकल के बच्चों के खेलों की सामग्री व साधन हैं कंप्यूटर , साइकिल , बैट-बॉल , फुटबॉल , मोबाइल फोन आदि।

Question: 5 पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गया हों?

Answer :

1. बाबूजी अपने हाथों से भोला को खाना खिलाते है पर माँ को लगता है कि बेटे ने कम खाया है। माँ तौता , मैना , कबूतर और हँस आदि के बनावटी नाम से कौर बनाकर यह कहते हुए खिलाती है कि जल्दी खा ले नहीं तो यह उड़ जाएगें।

2. भोलानाथ अपने साथियों के संग टीले पर चूहे के बिल में पानी डालता है , और उस बिल से सॉप निकल आता है। साँप को देखकर सभी बच्चे भागने लगते है। भोलानाथ भागते-भागते अपनी माँ के आँचल में जा कर छिप जाता है। माँ उसे इस तरह से देखकर बहुत परेशान होती है और भोलानाथ के साथ उसकी मां भी रोने लगती है।

3. रामायण पाठ कर रहे अपने पिता के पास बैठकर भोलानाथ आईना देखता है और खुश होता है जब पिताजी देखते हैं तो वह शरमा कर आईना रख देता है।

4. कभी-कभी बाबू जी लेखक से कुश्ती भी लड़ते। वे शिथिल होकर लेखक के बल को बढ़ावा देते और लेखक उनको पछाड़ देते थे। वे उतान (पीठ के बल) पड़ जाते और लेखक उनकी छाती पर चढ़ जाते थे।

5. कहानी के अंत में भोलानाथ का माँ के आँचल में छिपना , माँ की चिंता , हल्दी लगाना , बाबू जी के बुलाने पर भी माँ की गोद न छोड़ना।

6. बच्चे के पिता के द्वारा उसको नहलाना-धुलाना उसके साथ खेलना , उसको हमेशा अपने साथ रखना , उसे कंधे पर अपने साथ घुमाने ले जाना और खेलते समय हार जाना।

7. माता का बच्चे को बहुत प्यार करना , उसे कहानियां सुनाकर खाना खिलाना , सजाना संवारना काला टीका लगाना।

8. जब कभी मइयाँ लेखक को अचानक पकड़ पाती तब लेखक के लाख छटपटाने पर भी एक चुल्लू कड़वा तेल लेखक के सिर पर डाल ही देती थी।

9. कभी-कभी लेखक मित्रों के संग बरात का भी जुलूस निकालते थे। कनस्तर का तंबूरा बजता , अमोले (आम की गुठली) को घिसकर शहनाई बजाई जाती , टूटी चूहेदानी की पालकी बनती , लेखक समधी बनकर बकरे पर चढ़ लेते और चबूतरे के एक कोने से चलकर बरात दूसरे कोने में जाकर दरवाजे लगती थी।

Question: 6 इस उपन्यास अंश में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं।

Answer :

आज की ग्रामीण संस्कृति में बहुत अधिक परिवर्तन हो गए है। आज घर-घर में शौचालय बन गए हैं। खेतों में आधुनिक विधि और आधुनिक उपकरणों से खेती होने लगी है। कुओं के स्थान पर ट्यूबवेल आ गए हैं। हल की जगह अब ट्रेक्टर का प्रयोग होने लगी है। अब जगह-जगह बच्चे खेलते नज़र नहीं आते वे विद्यालय जा कर पढ़ने लगे है। बैलगाड़ी तथा लालटेन नजर नहीं आते। गाँवों में बिजली पहुँच गई है। मिट्टी के चूल्हे का स्थान गैस चूल्हे ने ले लिया है। कच्चे घरो की जगह पक्के मकान नजर आते है। ग्रामीण पहनावे में भी अंतर आया है। पहले लोग धोती कुर्ता पहनते थे लेकिन अब लोग नए जमाने के कपड़े पहने लगे है जैसे – जींश , टी-र्शट , हाफ पैंट , फुल पैंट आदि और अब स्त्रियाँ लम्बे-लम्बे घूंघट नहीं निकालती है। वो भी नए जमीन के कपड़े पहनती है।

Question: 7 पाठ पढ़ते-पढ़ते आपको भी अपने माता-पिता का लाड़-प्यार याद आ रहा होगा। अपनी इन भावनाओं को डायरी में अंकित कीजिए।

Answer :

हमें बचपन में मम्मी बड़े प्यार से सुबह उठाती थी। खाना खिलाने के लिए तरह-तरह के उपाय करती थीं। मां हमें अनेक कहानियां सुनाती थी। चोट लगने पर प्यार से मरहम लगाती थी। हमारे बीमार पड़ने पर रात-रात भर जागती रहती थी। पिताजी का नई नई चीजें लाना , बाज़ार ले जाना , छुट्टियों में अलग-अलग जगह घुमाना , स्कूल से मिले गृहकार्य में सहायता करना यह सब बचपन की यादें हमें हमेशा याद रहेगी।

पृष्ठ-संख्या

9

Question: 8 यहां माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।

Answer :

इस उपन्यास अंश में पिता अपने पुत्र भोलानाथ का ध्यान उसकी माँ से भी ज्यादा रखते है साथ सुलाना , नहलाना , पूजा में अपने साथ बिठाना , अपने हाथ से खाना खिलाना , खेल-खेल में उससे हार जाना। माँ के तेल डालने पर बच्चे का रोना और पिता का माँ पर बिगड़ना , विद्यालय में गुरूजी के मारने पर दौड़ते हुए विद्यालय जाना आदि अनेक ऐसे प्रसंग है जिससे पिता का उमड़ता हुआ वात्सल्प प्रेम पता चलता है। पिता की तरह ही माता का वात्सल्य प्रेम भी हृदय में उमड़ता रहता है। बच्चे का पेट भरा होने पर भी उसे अपने हाथ से खना खिलाती है , नजर न लगे इसलिए उसे काजल की बिंदी लगाती है , रंगीन कपड़े पहनाकर उसे कन्हैया की तरह सजा देती है। साँप से डर कर रोते देख बच्चे के साथ खुद भी रोने लगती है। उसे बार-बार गले लगाती है उसके घावों पर हल्दी लगाती है। भोलानाथ भी माँ का आंचल नही छोड़ता क्योंकि उसे वहीं प्रेम और शांति मिलती है।

Question: 9 माता का आंचल शीर्षक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्षक सुझाइए।

Answer :

“माता का अंचल” शीर्षक बिल्कुल उपयुक्त है क्योंकि शीर्षक की सार्थकता उसकी संक्षिप्तता और विषय वस्तु पर निर्भर करती है इन दोनों ही दृष्टि से यह शीर्षक सही है। बच्चे का लगाव परिवार के अन्य सदस्यों से चाहे कितना ही हो लेकिन विपदा के समय वह माँ के आंचल में आ कर ही स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है। भोलानाथ अधिकांश समय अपने पिता के साथ बीताता है उसका माँ के साथ संबंध बहुत सीमित रहता है। अंत में सॉंप से डरा हुआ बालक भोलानाथ पिता को देखकर भी माता की ही शरण में जाता है और सुख व शांति का अनुभव करता है। पिता को अनदेखा करके वह माँ के अंचल में दुबक कर राहत महसूस करता है अतः कहा जा सकता है कि माता का आंचल शीर्षक सही है।

इसके अन्य शीर्षक भी हो सकते हैं जैसे :–

1. मेरा बचपन
2. “माँ की ममता
3. बच्चों की दुनिया
4. बचपन के सुनहरे पल

Question: 10 बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं?

Answer :

बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम की अभिव्यक्ति कई तरह से करते है :–

1. माता-पिता के साथ विभिन्न प्रकार की बातें करके अपना प्यार व्यक्त करते हैं।

2. माता-पिता को अपने साथ खेलने को कहकर।

3. किसी भी वस्तु को पाने की जिद और माँ के हाथ से खाना खाने की जिद कर वे अपना प्रेम अभिव्यक्त करते हैं।

4. वे उनके साथ अधिक समय व्यतीत करते हैं।

5. पिता के कंधों पर चढ़कर , उनकी मूंछें खींचकर माँ की गोद में बैठकर।

6. बच्चे अपने माता-पिता के साथ रहते हुए , माता-पिता की बताई हुई अच्छी बातों पर अमल करके , उनकी आज्ञा का पालन करके।

Question: 11 इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है?

Answer :

इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है , उसमें उनके खेल , कौतूहल , माँ की ममता , पिता का दुलार आदि शामिल है। हमारी दुनिय इससे भिन्न है। पाठ में ग्रामीण जीवन और संस्कृति का चित्रण है। जबकि हम शहरी जीवन जीना चाहते है। उस समय बच्चों के माता-पिता खिलाने , सुलाने व खेलने में पूरा समय देते थे लेकिन आज की दुनियाँ के माता-पिता अपनी व्यस्तता के कारण पूरा समय नहीं दे पाते। वह अपनी कमी को महंगे खिलौने , कंप्यूटर , मोबाइल , विडियो गेम आदि देकर पूरा करना चाहते है। पहले के बच्चों में मित्रता की भावना होती थी लेकिन आजकल बच्चे अकेले समय बीताना ज्यादा पसंद करते है।

Question: 12 फणीश्वर नाथ रेणु और नागार्जुन की आंचलिक रचनाओं को पढ़िए।

Answer :

विद्यार्थी अपने विद्यालय के पुस्तकालय से इन रचनाओं को लेकर स्वय पढ़ें।

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