जलवायु नोट्स कक्षा 9

Jalvayu Notes Class 9

मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के शब्द ‘मौसिम’ से हुई है जिसका अर्थ है – ‘मौसम’।

किसी क्षेत्र की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक – अशांश, ऊँचाई, वायुदाब, पवन तंत्र, समुद्री से दूरी, महासागरीय धाराये तथा उच्चावच है।

लू – यें धुलभरी, गर्म और शुष्क पवने होती है जो मई – जून में दिन के समय भारत के उतर एवं उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में चलती हैं।

विश्व में सबसे अधिक वर्षा मासिनराम में होती है। भारत की जलवायु को मांसिनरम में होता है। भारत की जलवायु को मानसूनी जलवायु कहा जाता है। जेट

धारा – ऊपरी क्षोभमंडल के संकीर्ण शेत्र में तीव्र वेग से बहने वाली पवने है। एलनीनो एक गर्म जलधारा है। यह पेरू के तट पर उत्पन्न होती है, और पेरू की शीतधारा को अस्थायी रूप से हटाकर उसका स्थान ले लेती है।

मानसून का फटना – अचानक ही कई दिनो तक वर्षा का लागतार होना और प्रचंड रूप रखना मानसून का फटना कहलाता है। वर्षा ऋतु में भारत में हवायें समुद्र से स्थल की और चलने लगती है, जिन्हें हम मानसूनी हवायें कहते है।

मानसूनी हवाओं को दो भागो में बाँटा जाता है :
1. दक्षिणी – पश्चिमी मानसून
2. उत्तरी – पूर्वी मानसून।

भारत में अधिकांश वर्षा दक्षिणी – पश्चिमी मानसून से होती है।

भारत की ऋतुएँ – भारत में मुख्य चार ऋतुएँ पायी जाती है।
1. शीत ऋतु – मध्य नवम्बर से फ़रवरी तक
2. ग्रीष्म ऋतु – मार्च से मई तक
3. वर्षा ऋतु – जून से सितम्बर
4. लौटते हुए मानसून की ऋतु – अक्टूबर से नवम्बर

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