NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 2 स्मृति प्रश्न और उत्तर

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 2 Smriti Questions and Answers

प्रश्न 1. भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था?

उत्तर: सायंकाल के 3:30 या 4:00 बजे होंगे। लेखक अपने साथियों के साथ झरबेरी के बेर तोड़- तोड़कर खा रहा था। जब गांव के एक आदमी ने जोर से पुकारा कि तुम्हारा भाई बुला रहा है, तो लेखक को लगा कि बेर तोड़कर खाने के लिए उसका भाई उन्हें डांटेगा और खूब पीटेगा।

प्रश्न 2. मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएं में ढेला क्यों फेंकती थी?

उत्तर: लेखक के गांव से 4 फर्लांग दूर एक कुआं था, जिसमें अति भयंकर काला सांप पड़ा हुआ था। कुआं कच्चा था और 24 हाथ गहरा था। उस कुएं में पानी नहीं था। मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली उस कुएं में इसलिए ढेले फेंकती थी ताकि सांप क्रुद्ध होकर फुसकारे और बच्चे उसको फुसकार को सुन सके।

प्रश्न 3. ‘सांप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं’ – यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?

उत्तर: जैसे ही लेखक ने टोपी उतार कर कुएं में ढेला फेंका, उनके बड़े भाई द्वारा दी गई चिठियां भी गलती से कुएं में गिर गई, उन्हें कुएं में गिरता देख वह भौचक्का रह गया और डर के कारण उसका ध्यान उन चिट्ठियों को बचाने में लग गया। इसलिए वह यह देखना भूल गया कि सांप को ढेला लगा या नहीं और वह फुसकारा मारी या नहीं।

प्रश्न 4. किन कारणों से लेखक ने चिट्ठियों को कुएं से निकालने का निर्णय लिया?

उत्तर: क्योंकि लेखक ने पहले भी कई सांप मारे थे और सांपों को मारना वह अपने बाएं हाथ का खेल समझता था और उसे झूठ बोलना नहीं आता था। अगर उसके बड़े भाई को यह पता चल जाता, कि लेखक ने चिट्ठियों को कुएं में गिरा दिया है, तो उसकी बहुत पिटाई होती। इसी भय के कारण उसने चिट्ठियों को कुएं से निकालने का निर्णय लिया।

प्रश्न 5. सांप का ध्यान बांटने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियां अपनाई?

उत्तर: सांप का ध्यान बांटने के लिए लेखक ने अपने हाथ का प्रहार करने की बजाय उसकी तरफ डंडा बढ़ा दिया, सांप ने सारा विश्व डंडे पर डंक मार कर उगल दिया। और जब सांप डंडे पर लिपट गया तो लेखक ने कुएं की बगल से एक मुट्ठी मिट्टी लेकर उसकी दाएं और फेंकी, जिससे वह उस मिट्टी पर झपटा और उसकी बाईं ओर से लेखक ने बड़ी ही चालाकी से डंडा खींच लिया।

प्रश्न 6. कुएं में उतरकर चिट्ठियों को निकालने संबंधि साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: लेखक आप एक साहसी व्यक्ति है, क्योंकि चिट्ठियों के कुएं के अंदर गिर जाने पर लेखक ने रोना-धोना छोड़ कर कुएं के अंदर जाने का साहसी निर्णय लिया। उसने अपनी और अपने भाई की पांचों धोतियों को लिया और उन्हें आपस में बांधकर कुएं में उतर गया। कुएं की धरती से 5 गज की दूरी पर लटककर सांप के पास से चिट्ठियों को निकालने लगा। और जब सामने लाठी पर डंक मारा तब भी उसने हौसला नहीं खोया और बड़ी ही चालाकी से कुएं की दीवार की मिट्टी फेंक कर सांप का ध्यान उस मिट्टी की तरफ कर दिया और उसकी दूसरी तरफ से सारी चिट्ठिया निकाल दी। और बाद में 36 फीट ऊंची कुएं की दीवारों पर जैसे तैसे हाथ के बल चढ़कर कुएं से बाहर निकला।

प्रश्न 7. इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?

उत्तर: बालक प्रायः शरारती प्रवृत्ति के होते हैं जैसा कि इस कहानी में लेखक को भी दर्शाया गया है की वह कुएं में गिरे उसका काले सांप को मिट्टी के ढेले फेंककर व्यर्थ में ही परेशान करते थे और उसकी फुफकार सुनकर प्रसन्न होते थे। और बालकों को स्वच्छंद वातावरण में घूमना भी बहुत पसंद होता है और फल खाना जैसा कि इस कहानी में लेखक को भी बेर खाते हुए दर्शाया गया है।

प्रश्न 8. मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएं कभी-कभी कितनी मिथ्या और उल्टी निकलती है– का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: मनुष्य किसी कठिन काम को करने के लिए अपनी बुद्धि से योजनाएँ तो बहुत बनाता है, किंतु समस्याओं का वास्तविक सामना होते ही ये योजनाएँ धरी की धरी रह जाती हैं। तब उसे यथार्थ स्थिति को देखकर काम करना पड़ता है। इस पाठ में लेखक ने सोचा था कि कुएँ में उतरकर वह डंडे से साँप को मार देगा और चिट्ठियाँ उठा लेगा, परंतु नीचे कुएँ में उतर कर उसके कम व्यास के बारे में उसे पता लगा कि यहाँ तो डंडा चलाया ही नहीं जा सकता है। उसने जब साँप को फन फैलाए अपनी प्रतीक्षा करते पाया तो साँप को मारने की योजना उसे एकदम मिथ्या और उलटी लगने लगी।

प्रश्न 9. ‘फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है’-पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: जैसा कि इस कहानी में लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने के लिए उसमें उतरने का दृढ़ निश्चय कर लिया। उसे लगा होगा कि कुएँ में उतरने तथा साँप से लड़ने का फल क्या होगा, यह सोचना उसका काम नहीं है। परिणाम तो प्रभु-इच्छा पर निर्भर है। इसलिए वह फल की चिंता छोड़कर कुएँ में उतर गया।

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