किसान और काश्तकार Social Science History in Hindi Medium NCERT Solutions for Class 9

NCERT Solutions for Class 9 Social Science History in Hindi Medium किसान और काश्तकार Notes

NCERT Solutions for Class 9 Social Science in Hindi Medium

NCERT Solutions for Class 9 Social Science History in Hindi Medium

NCERT Solutions for Class 9 Geography in Hindi Medium

  • 1850 इंग्लैंड में कैप्टन स्विंग वाले दंगे लगातार दो सालों तक चले।
  • इन दंगो में गरीब मजदूरों ने अमीर काश्तकारों की मशीनें तोड़ी।
  • कैप्टन स्विंग– एक मिथकीय नाम था।
  • कॉमन्स– भूमि जिस पर सारे ग्रामीणों का अधिकार होता था।
  • 18 वी शताब्दी के अंत तक इंगलैंड सरकार के हुक्म से बड़े भूस्वामियों ने सांझा भूमि की (कॉमन्स) बाडा बंदी शुरू कर दी।
  • ग़रीब किसानो के जीवन में कॉमन्स का महत्त्व:- 
  1. कॉमन्स की ज़मीन साझा होती थी। कोई भी किसान वहाँ खेती कर सकता था। 
  2. इस पर लोग अपने मवेशी चराते थे। 
  3. जलावन की लकड़ियाँ इकट्ठी करते थे। 
  4. खाने के लिए कंदमूल फल इकट्ठा करते थे। 
  • बाडा बंदी- खेतों के चारो तरफ बाड़ बांधना।
  • 16 वीं शताब्दी में बाड़ाबंदी का उद्देश्य भेड़ पालना था।
  • 18 वीं शताब्दी के आखिरी सालों में इसका उद्देश्य अनाज उत्पादन में वृद्धि हो गया।
  • नेपोलियन युद्ध के दौरान खाद्यान्नों के दाम ऊंचे होने के कारण कृषकों ने अपना उत्पादन बढ़ाया।
  • 18वीं शताब्दी में इंग्लैड में खाद्यान्नों की मांग बढ़ी:- 
  1. इंग्लैड की आबादी 1750 में 1900 के बीच बहुत तेज़ी से बढ़ी। अतः बढ़ती हुई आबादी के लिए अनाज की माँग में वृद्धि स्वाभाविक थी। 
  2. फ़्रांस का ब्रिटेन के साथ युद्ध शुरू हुआ। इस युद्ध ने यूरोप से व्यापार तथा अनाजों के आयात को अवरूध्द कर दिया। 
  3. उन्नत कृषि तकनीक से अनाजों के उत्पादन में वृध्दि हुई। 
  • अठारहंवी शताब्दी के अंत तथा 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में इंग्लैड के ग्रामीण इलाक़ों में परिवर्तन आए : 
  1. 18वीं शताब्दी के अंतिम दशकों तथा 19वीं शताब्दी के आरंभिक वर्षों में बाड़ाबंदी आंदोलन शुरू हुआ। 
  2. अधिक तर लोग शहरी क्षेत्रों में जाकर काम करने लगे। 
  3. थ्रेशिंग मशीन के प्रयोग ने ज़मीन पर काम करने वाले मज़दूर को बेरोज़गार कर दिया। 
  • मजदूरों की कमी को पूरा करने के लिए थ्रेशिंग मशीनों का उपयोग किया गया।
  • रोटी की टोकरी- अमरीका दुनिया के सामने रोटी की टोकरी बनकर सामने आया।
  • 1800 के पश्चात सरकार ने औपचारिक नीति बनकर अमरीकी इंडियनों को मिसिसिप्पी नदी के पार खदेडना शुरू कर दिया।
  • मूल निवासियों की जगह प्रवासी अपलेशियन पठार में बस गए।
  • 1820 से 1850 के मध्य वहां वनों को काटकर खेत और घर बना लिए गए।
  • रूसी गेहूं पर प्रतिबंध लगने से युरोप अमरीका पर ही निर्भर था।
  • अमरीका के राष्ट्रपति विल्सन का कहना था “खूब गेहूं उपजाओ गेहूं ही हमें जंग जितवाएगा”।
  • खेती के लिए नए औजार और नई तकनीक शुरू की।
  • विस्तृत मैदानों में खेती से अनेक समस्याएं उत्पन्न हुई।
  • 1930 के दशक में दक्षिण के मैदानों में रेतीले तूफ़ान आने लगे।
  • भारत में अफीम की खेती का संबंध ब्रिटेन और चीन के पारस्परिक व्यापार से जुड़ा है।
  • इंग्लैंड चीन से चाय का व्यापार करता था परंतु इंग्लैंड के पास ऐसी कोई वस्तु नहीं थी जिसे वे आसानी के साथ चीन के बाज़ार में बेच सके।
  • चाय के बदले इंग्लैंड के व्यापारियों को चांदी के सिक्के देने पड़ते थे। जिससे खजाना खाली हो रहा था।
  • अफीम चीन में बेचे जाने के लिए अच्छा विकल्प था जिसका उपयोग औषधि के रूप में किया जाता था।
  • अंग्रेज़ों द्वारा गरीब किसानों की अग्रिम रकम देकर अफ़ीम पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
  • किसानों को अफीम की खेती से बहुत हानि होती थी।

NCERT Solutions for Class 9 Social Science History in Hindi Medium किसान और काश्तकार Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्न उत्तर:

प्रश्न 1. 18वीं शताब्दी में इंग्लैंड की ग्रामीण जनता खुले खेत की व्यवस्था को किस दृष्टि से देखती थी? संक्षेप में व्याख्या करें। इस व्यवस्था को:
१. एक संपन्न किसान
२. एक मजदूर
३. एक खेतिहर स्त्री की दृष्टि से देखने का प्रयास करें।

उत्तर: १. एक संपन्न किसान: जब सोलहवीं शताब्दी में ऊन की कीमतें बढ़ने लगी तो संपन्न किसानों ने सार्वजनिक भूमि पर अपना अधिकार जमाना शुरू कर दिया। उन्होंने चरागाह पर पशुओं के लिए बाड़ाबंदी प्रारंभ कर दी। ऐसा उन्होंने इसलिए किया ताकि उनकी भेड़ों को अच्छा चेहरा मिल सके। बाद में जब 18वीं शताब्दी में अनाज की पैदावार से उन्हें अधिक लाभ की किरण नजर आई तो उन्होंने आसपास की सार्वजनिक भूमि पर ही अपना हाथ मारना शुरू कर दिया।
२. एक मजदूर: सार्वजनिक भूमियों का सबसे अधिक लाभ मजदूरों को था, क्योंकि मजदूर सांझा भूमि से लकड़ियां और कंदमूल एवं फल इकट्ठा करते थे। वे अपने पशुओं को चराने के लिए भी इन्हीं भूमियों का उपयोग करते थे। सार्वजनिक भूमि उनके जीवन को चलाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी।
३. एक खेतिहर स्त्री: एक किसान की तरह खेतिहर स्त्री को भी खुले खेती तंत्र से बहुत लाभ था, जैसे कि वह वहां से फल इकट्ठा करती थी, चूल्हे के लिए लकड़िया भी प्राप्त कर लेती और अपने पशु आदि को भी चरा लेती थी।

प्रश्न 2. इंग्लैंड में हुए बाड़ाबंदी आंदोलन के कारणों की संक्षेप में व्याख्या करें।

उत्तर: इंग्लैंड में हुए बाड़ाबंदी आंदोलन के कारक निम्नलिखित है:
१. ऊन की बढ़ती मांग: सोलहवीं सदी में विश्व बाजार में ऊन की कीमतों में वृद्धि के कारण लालची अमीर किसानों ने सांझा जमीन पर कब्जा करना शुरू कर दिया, ताकि उनके पशुओं को चारा मिल सके।
२. जनसंख्या में वृद्धि: 18वीं और 19वीं शताब्दी में इंग्लैंड की जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ी, जिसके कारण उनकी खाद्य पूर्ति के लिए अधिक जमीनों की बाड़ाबंदी की गई।
३. अमीर जमींदार का लालच: अधिक से अधिक भूमि को अपने घेरे में लाने का मतलब था अधिक आमदनी और समाज में ऊंचा रुतबा। जिसके कारण अमीर जमींदारों ने और अधिक भूमि को घेरना शुरू किया।

प्रश्न 3. इंग्लैंड के गरीब किसान थ्रेशिंग मशीनों का विरोध क्यों कर रहे थे?

उत्तर: जब बड़े जमींदारों ने सांझा भूमि की बाड़ाबंदी की तो छोटे किसानों का जीवन जीना मुश्किल हो गया क्योंकि वह वहीं से जलाने के लिए लकड़ी प्राप्त करते थे और अपने पशु भी वही चलाते थे। लेकिन जब थ्रेशिंग मशीनें आ गई तो उन्हें निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ा:
१. थ्रेशिंग मशीनें कम समय में मजदूरों से ज्यादा काम करती थी।
२. इनमें मजदूरों से कम खर्चा आता था, जिसके कारण मजदूर अपनी नौकरी गंवा कर बेरोजगार हो रहे थे।

प्रश्न 4. कैप्टन स्विंग कौन था? यह नाम किस बात का प्रतीक था और वह किन वर्गों का प्रतिनिधित्व करता था?

उत्तर: कैप्टन स्विंग एक काल्पनिक नाम था जो गरीब कामगारों या मजदूरों द्वारा उनके उन पत्रों में लिखा जाता था, जो वह बड़े किसानों एवं जमींदारों को उन द्वारा प्रयोग की जाने वाली थ्रेशिंग मशीनों के विरोध में लिखते थे। सामने तो बड़े किसानों एवं जमींदारों को कुछ कहने की हिम्मत नहीं होती थी इसलिए वे कैप्टन स्विंग के नाम का प्रयोग करके उन्हें धमकी भरे पत्र लिखते थे। दिन में तो मजदूर चुप रहते थे परंतु रात पढ़ते ही हुए उन अमीर जमींदारों के फार्म-हाउसों पर आक्रमण कर देते थे। उनके भूसे और अनाज के गोदामों को आग लगा देते थे और मशीनों को भी तोड़फोड़ डालते थे। इस प्रकार कैप्टन सिंह के नाम ने गरीब कामगारों को कानून के शिकंजे से भी बचाए रखा।

प्रश्न 5. अमेरिका पर नए अप्रवासियों के पश्चिमी प्रसार को क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर: 18वीं सदी के प्रथम दशक तक श्वेत प्रवासी अपलेशियन पठार पर बस चुके थे। उन्होंने जंगलों को काट छांट कर जमीन को खेती के लिए साफ किया और उस जगह लकड़ी के घर बना लिए। वनों के कटाव तथा घास भूमियों के विनाश ने अमेरिका के पर्यावरण संतुलन को नष्ट कर दिया। जिसके कारण देश के दक्षिण-पश्चिम भागों में धूल भरी आंधियां चलने लगी तथा वर्षा की मात्रा में भी कमी आने लगी। उन्होंने खेती के लिए जंगलों को बहुत बड़े पैमाने पर काटा और उस पर मक्का और गेहूं की बुवाई की। कृषि के इस विस्तार के कारण अमेरिका विश्व का प्रमुख गेहूं उत्पादक देश बन गया।

प्रश्न 6. अमेरिका में फसल काटने वाली मशीन के फायदे व नुकसान क्या-क्या थे?

उत्तर: फसल काटने वाली मशीन के फायदे:
१. कम मानव परिश्रम के साथ भूमि को खेती के लिए तैयार करना।
२. फसल को तीव्रता से काटना संभव हो सका।
३. जमीन के विशाल टुकड़ों की सफाई संभव हो सकी।

फसल काटने वाली मशीन के नुकसान:
१. बहुत सारे मजदूरों बेरोजगार हो गए, क्योंकि मशीनें ज्यादा जल्दी और सस्ते में काम कर देती थी।
२. छोटे किसानों ने भी बैंकों से ऋण लेकर इन मशीनों को खरीदना शुरू किया जिसके कारण उन पर ऋण का और बोझ बढ़ गया।
३. रेतीले तूफान भी इन मशीनों के उपयोग का प्रतिफल था।

प्रश्न 7. अमेरिका में गेहूं की खेती में आए उछाल और बाद में पैदा हुए पर्यावरण संकट से हम क्या सबक ले सकते हैं?

उत्तर: अमेरिका में गेहूं की खेती में आए उछाल और बाद में पैदा हुए पर्यावरण संकट से हमें यह सबक लेना चाहिए कि मनुष्य को अपने आर्थिक हितों के लिए पर्यावरण का अनियंत्रित और वैज्ञानिक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। हमें विकास के ऐसे रास्ते खोजने चाहिए जिससे कि पर्यावरण को क्षति पहुंचाए बिना मानव अपना विकास कर सके। हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए। नहीं तो नए-नए पर्यावरण संकट हमारे सामने उत्पन्न होते रहेंगे।

प्रश्न 8. अंग्रेज अफीम की खेती करने के लिए भारतीय किसानों पर दबाव क्यों डाल रहे थे?

उत्तर: 18 वीं शताब्दी के आरंभ में इंग्लैंड में रेशम और चाय की बहुत ज्यादा मांग थी। इन चीजों के आयात में इंग्लैंड का बहुत सारा धन व्यय हो रहा था और अपने खजाने को बचाने के लिए उन्होंने चीन में अफीम की तस्करी करनी शुरू कर दी। लेकिन चीन के शासक ने इस व्यापार की आज्ञा नहीं दी। इस कारण चीन के शासक का अंग्रेजों के साथ अफीम युद्ध के नाम से प्रसिद्ध एक युद्ध हुआ जिसमें चीन की हार हुई जिसके कारण चीन को अपनी कुछ बंदरगाह अंग्रेजों के व्यापार के लिए खोलनी पड़ी। अब ईस्ट इंडिया कंपनी को अफीम की अत्यधिक आवश्यकता थी। इसलिए उसने गरीब किसानों को अफीम पैदा करने के लिए विवश किया।

प्रश्न 9. भारतीय किसान अफीम की खेती के प्रति क्यों उदासीन थे?

उत्तर: भारतीय किसान अफीम की खेती के प्रति निम्नलिखित कारणों से उदासीन थे:
१. पोस्त जिससे की अफीम तैयार होती थी, को उगाने के लिए उत्तम भूमि और अच्छी निगरानी की आवश्यकता पड़ती थी।
२. वे अपनी भूमि पर दालें उगाना चाहते थे, क्योंकि उससे काफी अच्छी आय होती थी।
३. बहुत से किसानों के पास अपनी भूमि नहीं थी और अगर वह बड़े जमींदारों से ठेके पर भूमि लेकर पोस्त उगाते तो ठेके की रकम कैसे अदा कर सकते थे।
४. पोस्त का पौधा एक कमजोर पौधा है। जिसकी देखभाल करना काफी कठिन कार्य है और जिसमें घंटों का समय लग जाता है। जिसके कारण किसान अन्य फसलों पर ध्यान नहीं दे पाते थे।

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