संस्थाओं का कामकाज प्रश्न और उत्तर Class 9

Sansthaon ka kaam kaaj Questions and Answers Class 9

(अभ्यास के प्रश्न– उत्तर)

प्र०१. अगर आपको भारत का राष्ट्रपति चुना जाए तो आप निम्नलिखित में से कौन –सा फैसला खुद कर सकते हैं?
क. अपनी पसंद के व्यक्ति को प्रधानमंत्री चुन सकते हैं।
ख. लोकसभा में बहुमत वाले प्रधानमंत्री को उसके पद से हटा सकते हैं।
ग. दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक पर पुनर्विचार के लिए कह सकते हैं।
घ. मंत्रिपरिषद में अपनी पसंद के नेताओं का चयन कर सकते हैं।

उत्तर– ग. दोनों सदनों पर पारित विधेयक पर पुनर्विचार के लिए कह सकते हैं। हमारा खुद का फैसला यह है।

प्र०२. निम्नलिखित में कौन राजनैतिक कार्यपालिका का हिस्सा होता है?

क. जिलाधीश

ख. गृह मंत्रालय का सचिव

ग. गृहमंत्री

घ. पुलिस महानिदेशक

उत्तर– गृहमंत्री।

प्र०३. न्यायपालिका के बारे में निम्नलिखित में से कौन– सा बयान गलत है।

क. संसद द्वारा पारित कानून को सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी की जरूरत होती है।

ख. अगर कोई कानून संविधान की भावना के खिलाफ है तो न्यायपालिका उसे अमान्य घोषित कर सकती है।

ग. न्यायपालिका कार्यपालिका से स्वतंत्र होती है।

घ. अगर किसी नागरिक के अधिकारों का हनन होता है तो वह अदालत में जा सकता है।

उत्तर– क. संसद द्वारा पारित प्रत्येक कानून को सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी की जरूरत होती है।

प्र०४. निम्नलिखित राजनैतिक संस्थाओं में से कौन– सी संस्था देश के मौजूद कानून में संशोधन कर सकती है?

क. सर्वोच्च न्यायालय

ख. राष्ट्रपति

ग. प्रधानमंत्री

घ. संसद

उत्तर– घ. संसद

प्र०५. उस मंत्रालय की पहचान करें पहचान करें जिसने निम्नलिखित समाचार जारी किया होगा।

क. देश से जूट का निर्यात बढ़ाने के लिए एक नई नीति बनाई जा रही है।१. रक्षा मंत्रालय
ख. ग्रामीण इलाकों में टेलीफोन सेवाएं सुलभ कराई जाएंगी।२. स्वास्थ्य मंत्रालय
ग. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बिकने वाले चावल और गेहूं की कीमतें कम की जाएंगी।३. कृषि, खाद्यान्न और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
घ. पल्स पोलियो अभियान शुरू किया जाएगा।४. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
ड. ऊंची पहाड़ियों पर तैनात सैनिकों के भत्ते बढ़ाए जाएंगे।५. संचार और सूचना– प्रौद्योगिकी मंत्रालय

उत्तर–

क. देश से जूट निर्यात बढ़ाने के लिए नई नीति बनाई जा रही है। ४. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
ख. ग्रामीण इलाकों में टेलीफोन सेवाएं सुलभ कराई जाएंगी। ५. संचार और सूचना– प्रौद्योगिकी मंत्रालय
ग. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बिकने वाले चावल और गेहूं की कीमतें कम की जाएंगी। २. स्वास्थ्य मंत्रालय
घ. पल्स पोलियो अभियान शुरू किया जाएगा। ३. कृषि, खाद्यान्न और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
ड. ऊंची पहाड़ियों पर तैनात सैनिकों के भत्ते बढ़ाए जाएंगे। १. रक्षा मंत्रालय

प्र०६. देश की विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में से उस राजनैतिक संस्था का नाम बताइए जो निम्नलिखित मामलों में अधिकारों का इस्तेमाल करती है।

क. सड़क, सिंचाई जैसे बुनियादी ढांचो के विकास और नागरिकों की विभिन्न कल्याणकारी गतिविधियों पर कितना पैसा खर्च किया जाएगा।

उत्तर– विधायिका।

ख. स्टॉक एक्सचेंज को नियमित करने संबंधी कानून बनाने की कमेटी के सुझाव पर विचार– विमर्श करती है।

उत्तर– न्यायपालिका।

ग. दो राज्य सरकारों के बीच कानूनी विवाद पर निर्णय लेती है।

उत्तर– न्यायपालिका।

घ. भूकंप पीड़ितों की राहत के प्रयासों के बारे में सूचना मांगती है।

उत्तर– कार्यपालिका।

प्र०७. भारत का प्रधानमंत्री सीधे जनता द्वारा क्यों नहीं चुना जाता? निम्नलिखित चार जवाबो में सबसे सही को चुनकर अपनी पसंद के पक्ष में कारण दीजिए:

क. संसदीय लोकतंत्र में लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी का नेता ही प्रधानमंत्री बन सकता है।

ख. लोकसभा, प्रधानमंत्री और मंत्रीपरिषद का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्हें हटा सकती है।

ग. चूंकि प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति नियुक्त करता है लिहाजा उसे जनता द्वारा चुने जाने की जरूरत ही नहीं है।

घ. प्रधानमंत्री के सीधे चुनाव में बहुत ज्यादा खर्च आएगा।

उत्तर– संसदीय लोकतंत्र में लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी का नेता ही प्रधानमंत्री बन सकता है। यदि एक प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित व्यक्ति, जिसे लोकसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त है, को प्रधानमंत्री बना दिया जाता है, तो उसके लिए लोकसभा में अपनी मर्जी के बिल तथा नीतियां पारित कराना कठिन होगा। ऐसी स्थिति में सरकार सुचारू रूप से नहीं चल सकेगी।
इसके अतिरिक्त भारत जैसे विशाल देश में जहां पर मतदाताओं की संख्या करोड़ों में है, किसी भी साधारण व्यक्ति के लिए चाहे वह कितना ही ईमानदार तथा बुद्धिमान क्यों न हों, चुनाव का खर्च बर्दाश्त करना संभव नहीं होगा।

प्र०८. तीन दोस्त एक ऐसी फिल्म देखने गए जिसमें हीरो 1 दिन के लिए मुख्यमंत्री बनता है और राज्य में बहुत से बदलाव लाता है। इमरान ने कहा कि देश को इसी चीज की जरूरत है। रिजवान ने कहा कि इस तरह का, बिना संस्थाओं वाला एक व्यक्ति का राज खतरनाक है। शंकर ने कहा कि यह तो एक कल्पना है। कोई भी मंत्री 1 दिन में कुछ भी नहीं कर सकता। ऐसी फिल्मों के बारे में आपकी क्या राय है?

उत्तर– मैं रिजवान के विचार से सहमत हूं जिस का कहना है कि संस्थाओं वाला एक व्यक्ति का राज खतरनाक है। क्योंकि इस प्रकार की फिल्म का वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है। एक व्यक्ति का शासन सदैव खतरनाक होता है। शासन नियमों एवं सिद्धांतों के आधार पर ही चलाई जाती है। अतः मैं रिजवान के विचार से सहमत हूं।

प्र०९. एक शिक्षिका छात्रों की संसद के आयोजन की तैयारी कर रही थी। उसने 2 छात्रों से अलग-अलग पार्टियों के नेताओं की भूमिका करने को कहा। उसने उन्हें विकास पर भी दिया, यदि वे चाहे तो राज्यसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता हो सकती थी और अगर चाहे तो लोकसभा के बहुमत प्राप्त दल की। अगर आपको यह विकल्प दिया गया तो आप क्या चुनेंगे और क्यों?

उत्तर– मैं लोकसभा में बहुमत को पसंद करूंगी। क्योंकि लोकसभा में बहुमत के नेता को राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है। इसके अतिरिक्त विधि– निर्माण क्षेत्र में लोकसभा को राज्यसभा के मुकाबले में अधिक शक्तिशाली बनाया गया है। धन– विधेयक पास करने में तो लोकसभा के पास ही शक्ति है– राज्यसभा उसके पास होने में केवल 14 दिन की देरी ही कर सकती है। अतः मैं लोकसभा में ही बहुमत पसंद करूंगी। क्योंकि जिसमें ज्यादा शक्ति है, वही सबसे आगे है।

प्र०१०. आरक्षण पर आदेश का उदाहरण पढ़कर 3 विद्यार्थियों की न्यायपालिका की भूमिका पर अलग-अलग प्रतिक्रिया थी। इनमें से कौन– सी प्रतिक्रिया, न्यायपालिका की भूमिका को सही तरह से समझाती है?

क. श्रीनिवास का तर्क है कि चूंकि सर्वोच्च न्यायालय सरकार के साथ सहमत हो गई है लिहाजा वह स्वतंत्र नहीं है।

ख. अंजैया का कहना है कि न्यायपालिका स्वतंत्र है क्योंकि वह सरकार के आदेश के खिलाफ फैसला सुना सकती थी। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को उसमें संशोधन का निर्देश दिया।

ग. विजया का मानना है कि न्यायपालिका न तो स्वतंत्र है और न ही किसी के अनुसार चलने वाली है बल्कि वह विरोधी समूहों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाती है। न्यायालय ने इस आदेश के समर्थकों और विरोधियों के बीच बढ़िया संतुलन बनाया।

उत्तर– क. श्रीनिवास द्वारा दिया गया तर्क ठीक नहीं है, दोनों पक्षों की दलीले सुनने के पश्चात यदि सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार के निर्णय को वैध ठहराया है तो इसका यह अर्थ नहीं है कि सर्वोच्च न्यायालय स्वतंत्र नहीं है। इसके अतिरिक्त सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को अपने आदेश में कुछ परिवर्तन करने के लिए कहा है। यह तथ्य भी इस बात को साबित करता है कि सर्वोच्च न्यायालय स्वतंत्र है।

ख. अंजैया का मत ठीक है।

ग. विजया का मत ठीक नहीं है। न्यायलयो का कार्य दो विरोधी समूहों के बीच मध्यस्थता करना नहीं है, बल्कि कानून के अनुसार निष्पक्ष न्याय प्रदान करना है। मेरे विचार से अंजैया का मत ठीक है। क्योंकि न्यायपालिका स्वतंत्र है।

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