प्रेमचंद के फटे जूते सारांश Class 9

Premchand ke Phate Joote Summary Class 9

‘प्रेमचंद के फटे जूते’ पाठ के लेखक हरिशंकर परसाई जी, प्रेमचंद नामक एक साधारण व्यक्ति के बारे में बता रहे हैं जो कि हिंदी के एक सुप्रसिद्ध लेखक हैं। जिनकी कहानियां और उपन्यास विश्व भर में फैले हुए हैं।

लेखक हरिशंकर परसाई जी बताते हैं कि मैंने हैरानी में पूछा की प्रेमचंद जी फोटो खींचा रहे हैं, वो भी फटे जूते पहनकर और वह किसी पर हंस भी रहे हैं। फिर लेखक हरिशंकर परसाई जी कहते हैं अगर फोटो खिंचानी ही थी, तो जूते तो ढंग के पहन कर आते। ओह! लगता है कि अपनी पत्नी के कहने पर ही फोटो खिंचवा रहे हैं।

लेखक हरिशंकर परसाई प्रेमचंद जी की फोटो के द्वारा उनके कष्ट को महसूस कर रोना चाहते हैं। परंतु उन्हें ऐसा करने से उनके आंखों का दर्द रोक लेता है। लेखक व्यंग करते हुए कहते है, कि लोग इत्र लगाकर खुशबूदार फोटो खिंचवाते है। अगर प्रेमचंद जी फोटो का महत्व समझते तो जूते किसी से उधार में मांग लेते, लोग तो शादी में पहनने के लिए कोट और कार तक मांग लेते हैं।

लेखक हरिशंकर परसाई जी आगे बताते हैं कि सिर में पहनने वाली वस्तु सस्ती है जबकि पैरों की उतने ही अधिक महंगी। प्रेमचंद जी पर भी कुछ ऐसा ही भार रहा होगा। उनके यह विडंबना लेखक को बहुत दुख पहुंचा रही थी। एक महान उपन्यास,कलाकार,युग प्रवर्तक, सम्राट का जूता फटा हुआ देख, उन्हें बहुत दुख सा होता था।

आगे लेखक हरिशंकर जी कहते हैं कि मेरा खुद का जूता भी कुछ अच्छा नहीं, बस ऊपर से ना फटकर अंगूठे के नीचे तला फट गया है। ऊपर से तो यह बढ़िया दिखता है पर नीचे से अंगूठा जमीन से रगड़ जाता है, पैनी मिट्टी पर कभी रगड़ खाकर लहूलुहान भी हो जाता है। पर पैर के जख्मी होने पर भी उंगली दिखाई नहीं देगी। आगे वे कहते हैं कि लेखक यानी उनके जैसे लोग वास्तविक सच्चाई को आडंबर के आवरण से ढकना चाहते हैं जबकि प्रेमचंद जैसे व्यक्तित्व सच्चाई को अपनाने वाले लोग हैं। जो पर्दे का महत्व ही नहीं जानते और हम इसी पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं!

अब लेखक प्रेमचंद जी के बारे में बातें करते हैं कि तुम तो बड़े ठाठ से फटे जूते पहने हुए हो लेकिन मैं ऐसा कभी नहीं कर पाऊंगा और फोटो खिंचवाने की बात तो रही दूर की। और लेखक उनकी इस व्यंग्य मुस्कान का मतलब पूछते हैं। लेखक उनके जूते फटने की वजह जानना चाहते हैं क्योंकि उनके अनुसार ज्यादा चलने से जूता फटता नहीं, हां पर घिस जाता है।
लेखक हरिशंकर परसाई जी अब बार-बार इसी प्रश्न के बारे में सोचते हैं कि प्रेमचंद जी का जूता घिसने की जगह फट कैसे गया? लेखक यह सोचते हैं कि जिसे हम घृणित समझते हैं उनकी तरफ हम पैर की उंगली का इशारा करते हैं।

मतलब यह है कि अब लेखक समझ गए हैं कि प्रेमचंद जी समाज में उपस्थित व्याप्त भेद-भाव और आडम्बरपूर्ण स्वभाव को देख कर मुस्कुरा रहे हैं। लेखक समझ गए हैं कि प्रेमचंद स्वार्थपरक लोगों पर व्यंग्य कर रहे हैं जो अपने वास्तविकता को छिपाकर, संघर्षों से बच कर निकलते हैं उन पर हंस रहे हैं।
अंत में लेखक हरिशंकर परसाई जी यही कहते हैं कि ‘हम्म अब वह प्रेमचंद जी के जरिए दिए गए निर्देशों को अच्छे प्रकार से समझ चुके हैं।’

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प्रेमचंद के फटे जूते प्रश्न और उत्तर Class 9

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