पाठ: 6 – खानाबदोश प्रश्न और उत्तर Class 11

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NCERT Solutions for Class 11 Hindi Kshitij Chapter – 6 Khanabadosh Questions and Answers

प्रश्न- अभ्यास

1. जसदेव की पिटाई के बाद मजदूरों का समूचा दिन कैसा बीता?

Answer:

जसदेव की पिटाई के दरिंदगी भरे लम्हों के बाद, मजदूरों का पूरा दिन डर और उबास में बिता। जसदेव अपने छत्ते में ज्वर से जूझ रहे थे, और सुखिया उसके पास अपने बेहतरीन नेतृत्व में था। सभी मजदूर डर से कांप रहे थे, और उन्हें लग रहा था कि सूबे सिंह कभी भी अचानक लौटकर आ सकते हैं। शाम होते ही, भट्ठे के आसपास सन्नाटा छा गया, और सभी अपने-अपने कुटियों में डरपोकी से बस गए।

2. मानो अभी तक भट्टे की जिंदगी से तालमेल क्यों नहीं बैठा पाई थी?

Answer:

मानो कि बदलती दृष्टि से, अपने देश की सूखी रोटी को भी मानों का सुना हुआ परदेशी पकवान समझा जाता था। आधे-रास्ते के दिन के साथ-साथ ही, भट्ठे का माहौल डरावना हो जाता था, और ऐसा लगता था कि मानों के दिल की धड़कन तेज हो जाती थी। इसी कारण वे अब तक भट्ठे की जिंदगी से किसी प्रकार का संबंध नहीं बना पा रहे थे।

3. असगर ठेकेदार के साथ जसदेव को आता देखकर सूबे सिंह क्यों बिफर पड़ा और जसदेव को मारने का क्या कारण था?

Answer:

सूबे सिंह ने सगर ठेकेदार को मानो को दफ्तर में बुलाने के लिए आदेश दिया था। यह बुलाव सभी के लिए स्पष्ट था कि उन्हें यह लग रहा था कि मानो को अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए बुलाया जा रहा है। लेकिन जब मानो को वहाँ भेजने के स्थान पर जसदेव वहाँ चला गया तो सूबे सिंह ने स्वयं ही वहाँ पहुंचकर इसे देखा। इसके परिणामस्वरूप, सूबे सिंह को लगा कि जसदेव उनकी इच्छा को बाधित करने का प्रयास कर रहे हैं और उनका क्रोध बढ़ गया। इसी क्रोध में, उन्होंने जसदेव पर हमला किया।

4. जसदेव ने मानो के हाथ का खाना क्यों नहीं खाया?

Answer:

जसदेव ने मानो के खाने से इनकार किया क्योंकि मानो दलित समाज से थी, जबकि वह खुद उच्च जाति, यानी ब्राह्मण, से थे। साथ ही, उसे यह भी आत्मसमर्पण का भाव आ रहा था कि वह खुद को मानो को बचाने के प्रयास में ही अपनाते हुए आत्महत्या कर बैठा है।

5. लोगों को क्यों लग रहा था कि किसी ने जानबूझकर मानो की ईंटें गिराकर रौंदा है? 

Answer:

शाम के समय मानो ने एक कच्ची ईटों की जालीदार दीवार बना दी थी, लेकिन जब मानो सुबह आयी तो उस दीवार को टूटे हुए देखा। यह ऐसा था कि किसी ने उन ईटों को बिना किसी दया या सहमति के तोड़ दिया था। रात के दौरान कोई आंधी या तूफान नहीं आया था, इसलिए लोगों को लग रहा था कि किसी ने जानबूझकर मानो की ईटों को गिराया हो। इसलिए लोगों के मन में विचार उत्तेजना और सवाल थे कि क्या किसी ने इसे जानबूझकर बर्बाद करने का इरादा रखा था।

6. मानो को क्यों लग रहा था कि किसी ने उसकी पक्की ईंटों के मकान को ही धराशाई कर दिया है?

Answer:

मानो ने एक दृढ़ ईंटों से बने अपने सपने के मकान का सपना देखा था। उसने अपने सपने के बारे में अपने पति सुखिया को भी साझा किया था। दोनों ने इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए अपनी ताक़त और संकल्प से काम किया। वे दिन-रात मेहनत करते और सुबह तेजी से उठकर भट्ठे पर जाते।

लेकिन जब मानो ने उन ईटों को टूटे हुए देखा, तो उसे यह समझ में आ गया कि अब उसके पीछे सूबे सिंह, मुंशी, और जसदेव भी शामिल हो गए हैं, जो किसी भी परिस्थितियों में उसे आगे नहीं बढ़ने देंगे। वह चाहे जितनी मेहनत करें, उसका सपना अब और पूरा नहीं हो सकता था। इसलिए उसे ऐसा लगा कि किसी ने उसके पक्के ईटों के मकान को ही धराशाई कर दिया है।

7. ‘चल! ये लोग म्हारा घर ना बणने देंगे।’ सुकिया के इस कथन के आधार पर कहानी की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।

Answer:

इस कहानी में “चल! ये लोग म्हारा घर ना बनने देंगे” यह बयान मजदूर वर्ग के शोषण और यातना का आभास कराता है। कहानी में ऐसे मजदूरों की जीवन की कठिनाइयों का सख्त और संवेदनशील चित्रण किया गया है, जो अपनी मेहनत करके अपना जीवन बिताने के लिए मजबूर हैं। इन मजदूरों को कितनी भी मेहनत करने पर भी किस प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, और यह उनकी दुखभरी स्थिति को दर्शाता है।

मानो और सुकिया दिन-रात मेहनत करते हुए अपने सपने को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सूबे सिंह का द्रष्टिकोण उन पर कठोर हो जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि मानो और सुकिया का सपना टूट जाता है और वे दोनों बेसहारा हो जाते हैं, जैसे कि किसी ने उनके सपनों को तोड़ दिया है।

इस तरह, कहानी अपनी मूल संवेदना को व्यक्त करने में सफल रही है, जिसमें मजदूर वर्ग के संघर्ष को और उनके सपनों की कठिनाइयों को साहित्यिक रूप से प्रकट किया गया है। यह कहानी दिखाती है कि मजदूर वर्ग ईमानदारी से मेहनत करके अपना सम्मानपूर्ण जीवन जीना चाहता है, लेकिन समृद्ध और शक्तिशाली व्यक्तियों द्वारा उनको यह समर्थन नहीं मिलता है। इसके साथ ही मजदूरों के लिए घर बनाने का सपना सिर्फ सपना बनकर ही रह जाता है।

8. ‘खानाबदोश’ कहानी में आज के समाज की किन समस्याओं को रेखांकित किया गया है? इन समस्याओं के प्रति कहानीकार के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।

Answer:

‘खानाबदोश’ कहानी ने आज के समाज की कई महत्वपूर्ण समस्याओं को बेहद सूक्ष्मता से प्रस्तुत किया है और उन्हें दर्शाने का प्रयास किया है।

कहानी ने मजदूर वर्ग के शोषण को गंभीरता से उठाया है, और यह दिखाया है कि उन्हें किस प्रकार के संघर्षों का सामना करना पड़ता है। मानो और सुकिया की मेहनत के बावजूद उनका सपना टूट जाता है जब उनके घर की ईंटें खराब कर दी जाती हैं, और इससे स्पष्ट होता है कि किस प्रकार समृद्ध और ताकतवर लोग मजदूरों के साथ निरंतर शोषण करते हैं।

इस कहानी में यह भी दिखाया गया है कि मजदूरों के लिए जातिवाद कितना भारी होता है, और कैसे समाज के अमीर और शक्तिशाली व्यक्तियों द्वारा उनका शोषण जारी रहता है।

कहानी ने मजदूरों के आर्थिक शोषण को भी उजागर किया है, और यह दिखाया है कि उन्हें कैसे अपनी रोजी-रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ता है, लेकिन फिर भी वे आर्थिक लाभ कमाने में सफल नहीं हो पाते हैं।

इस कहानी ने उजागर किया है कि मजदूरों की पूरी जीवनशैली बेघरी और असहाय होती है, और वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए कठिनाइयों का सामना करते हैं।

कहानी ने समाज की अनेक ज्वलंत समस्याओं को बेहद चुनौतीपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया है, और यह एक महत्वपूर्ण संदेश

9. सुकिया ने जिन समस्याओं के कारण गाँव छोड़ा वही समस्या शहर में भट्ठे पर उसे झेलनी पड़ी – मूलतः वह समस्या क्या थी?

Answer:

सुकिया की कहानी सामाजिक और आर्थिक दुखभरी स्थितियों का एक सच्चा चित्रण प्रस्तुत करती है। उन्होंने गाँव छोड़कर शहर में रोजगार की तलाश की, लेकिन वहाँ भी वे संतुष्ट नहीं रह सके क्योंकि उनकी आमदनी अच्छी नहीं थी। वे दिहाड़ी मजदूर बन गए, जो अपने लिए बेहतर जीवन की तलाश में आगे बढ़ने के लिए कठिनाइयों का सामना कर रहे थे।

इसके बाद भी, जब उन्होंने भट्ठे की मजदूरी छोड़ दी, तो फिर से वे रोजगार की समस्या का सामना करने के लिए अकेले हो गए। उनकी कहानी साबित करती है कि रोजगार की समस्या एक व्यक्ति के जीवन में एक पड़ाव से दूसरे पड़ाव तक बदल सकती है, और यह आर्थिक स्थिति को अधिक बुरा बना सकती है।

सुकिया की कहानी समाज में रोजगार की समस्या के महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करती है और यह दिखाती है कि लोग अकेले अपने आप को बेहतर जीवन के लिए स्थापित करने की कोशिश करते हैं, लेकिन कई बार सिर्फ अपनी मेहनत और संघर्ष से ही उन्हें समाधान नहीं मिल पाता।

10. ‘स्किल इंडिया’ जैसा कार्यक्रम होता तो क्या तब भी सुकिया और मानो को खानाबदोश जीवन व्यतित करना पड़ता?

Answer:

‘स्किल इंडिया’ जैसे कार्यक्रम होते, तो सुकिया और मानो के जीवन में खानाबदोशी की कहानी नहीं होती। क्योंकि उन्हें ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी सामाजिक स्थिति और कौशल के हिसाब से विभिन्न पारंपरिक व्यवसायों का प्रशिक्षण मिलता, जैसे कि बढ़ई, मोची, लोहार, राजमिस्त्री, दर्जी, जुलाहा, आदि। इसके परिणामस्वरूप, वे अपने कौशल का विकास करके खुद के व्यवसाय की शुरुआत कर सकते थे, चाहे वे अपने गाँव में ही रहते या किसी अन्य स्थान पर अपने इच्छानुसार बस जाते। इस स्थिति में, किसी भी प्रकार का उन पर शोषण नहीं होता, और वे स्वतंत्र रूप से अपने जीवन को निर्माण कर सकते।

11. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।

(क) अपने देस की सूखी रोटी भी परदेस के पकवानों से अच्छी होती है। 

Answer:

आशय- इस कथन का आशय है कि अपनी जन्मभूमि पर अपने परिवार के साथ सामान्य रूप से गुजारा करना अच्छा होता है, चाहे आपको वहां ज्यादा पैसे कमाने का मौका क्यों न हो। परदेश में जाने के बावजूद, अगर आपका आत्मा और आत्मा के लिए महत्वपूर्ण चीजें खो जाती हैं, तो वहां कमाए गए पैसे या सुख-सुविधाएँ आपको आपके घर के साथी और आपके असली सुख की कमी कर सकती हैं।

(ख) इत्ते ढेर से नोट लगे हैं घर बनाने में गाँठ में नहीं है पैसा, चले हाथी खरीदने। 

Answer:

आशय- इस वक्तव्य का तात्पर्य है कि सुकिया मानों को सुझा रहा है कि वह अपने घर के निर्माण के ख्वाब को छोड़ दें, क्योंकि घर बनाने के लिए बहुत सारे पैसे चाहिए होते हैं, जैसे किसी को हाथी खरीदने की इच्छा होती है, लेकिन उसके पास उसे खरीदने के लिए पैसे नहीं होते।

(ग) उसे एक घर चाहिए था पक्की ईंटों का, जहाँ वह अपनी गृहस्थी और परिवार के सपने देखती थी।

Answer:

आशय- मानो ने जब भट्ठे से निकली हुई लाल-लाल ईटों को देखा, तो उसके मन में वह ख्वाब उठा कि पक्की ईटों से बना एक अपना घर होना चाहिए। एक ऐसा घर जहां वह स्थायी रूप से रह सके और अपने परिवार के साथ वहाँ अपनी गृहस्थी बसा सके। उस घर में उसका पूरा परिवार खुशियों से रहे।

योग्यता – विस्तार

1. अपने आसपास के क्षेत्र में जाकर ईंटों के भट्टी  को देखिए तथा ईंट बनाने एवं उन्हें पकाने की प्रक्रिया का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

Answer:

ईंटों के भट्टी का दौरा करने पर, हमने ईंट बनाने और उन्हें पकाने की यह प्रक्रिया देखी।

पहले, ईंट बनाने की प्रक्रिया में हमने ईंटों के लिए मिट्टी की उच्च गुणवत्ता वाली उपलब्ध मिट्टी का चयन किया। इसके बाद, हमने उस मिट्टी को सहारे के साथ मिश्रित किया और बड़े आकार की ईंट बनाने के लिए उसे बनाया।

ईंट बनाने के बाद, हमने इन्हें धूप में सुखाने के लिए रखा और खुशबू निकलने तक उन्हें ठंडी होने दिया। इसके बाद, हमने ईंटों को भट्टी में रखा और उन्हें तापमान और आवश्यक समय के लिए पकाने के लिए जलाया।

ईंट भट्टी की प्रक्रिया देखकर समझा कि यह किसी विशेष धैतु की आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह मानव में समर्थन की आवश्यकता है, और यह सामग्री को सार्थक रूप से प्रयोग करने वाले और मेहनती श्रमिकों की जरूरत है जो इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करते हैं।

2. भट्टा मजदूरों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार कीजिए।

Answer:

भट्टा मजदूरों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का आकलन करते समय, हम पाते हैं कि उनकी स्थिति चुनौतीपूर्ण होती है :-

1. आर्थिक स्थिति: भट्टा मजदूर आर्थिक दृष्टि से कमजोर होते हैं। उनकी मासिक आमदनी बहुत कम होती है और अक्सर उन्हें अपने परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने में मुश्किल होती है।

2. शिक्षाः भट्टा मजदूरों की शिक्षा की स्थिति भी अच्छी नहीं होती, और उनके बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने में कई सारी समस्याएँ आती हैं।

3. स्वास्थ्य और जीवनकौशल: भट्टा मजदूरों का स्वास्थ्य आमतौर पर खराब रहता है, और उनके पास उचित स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच नहीं होती। उनके पास खुद की जीवनकोशल विकसित करने का सामग्री भी अपेक्षाकृत कम होता है।

4. सामाजिक स्थिति: भट्टा मजदूर आमतौर पर समाज के अधीन रहते हैं और उन्हें समाज में सामाजिक रूप से निम्न वर्ग में शामिल किया जाता है। उनके सामाजिक समानों के साथ योजनाएँ और समर्थन की कमी होती हैं।

5. आर्थिक और सामाजिक शोषण: भट्टा मजदूरों को अक्सर आर्थिक और सामाजिक शोषण का शिकार बनाया जाता है, और उन्हें उनके मानवाधिकारों की सख्ती से पालन करना पड़ता है।

इससे स्पष्ट होता है कि भट्टा मजदूरों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति कुशल नहीं होती और उन्हें समर्थन और सुधार की आवश्यकता है।

3. जाति प्रथा पर एक निबंध लिखिए।

Answer:

जाति प्रथा पर  निबंध

प्रस्तावना:

भारत एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से भरपूर देश है, जिसमें विविधता और अनेक प्रकार की जातियों का विवादित दौर चला आ रहा है। जाति प्रथा, जो भारतीय समाज के एक महत्वपूर्ण हिस्से की भूमिका निभाती है, एक गहरी विचार की आवश्यकता है।

जाति प्रथा का इतिहास:

जाति प्रथा भारतीय समाज का एक पुराना और प्राचीन प्रथमिकता रही है। इसका प्रारंभ वैदिक काल से हुआ था, जब लोगों को वर्ण (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र) और जाति के आधार पर विभाजित किया गया। यह प्रथा समाज के अधिकांश हिस्सों में बनी रही है और आज भी कई स्थानों पर प्रभावी है।

जाति प्रथा के कारण:

1. सामाजिक वर्गीकरण: जाति प्रथा समाज को वर्गों में विभाजित करती है, जिससे लोगों के बीच सामाजिक और आर्थिक विचार में भिन्नताएँ पैदा होती हैं।

2. आर्थिक असमानता: इस प्रथा के चलते, कुछ जातियां सामाजिक और आर्थिक अवसरों से वंचित रहती हैं, जबकि दूसरी जातियां आर्थिक और सामाजिक स्थिति में अधिक प्राधिकृत होती हैं।

3. समाज में असमानता: जाति प्रथा समाज में असमानता और भेदभाव पैदा करती है, जिससे लोगों के बीच द्वेष और आतंक का माहौल बना रहता है।

जाति प्रथा के खिलाफ:

1. सामाजिक सुधार: भारत समाज को समाजिक सुधार की ओर बढ़ते हुए जाने की आवश्यकता है, ताकि समाज के अलग-अलग वर्गों के बीच सामाजिक और आर्थिक समानता प्राप्त हो सके।

2. शिक्षा का महत्व: शिक्षा को समाज के हर वर्ग और जाति के लोगों के लिए पहुंचनी चाहिए, ताकि जाति प्रथा के खिलाफ लोग जागरूक हो सकें और अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें।

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