पाठ: 8 – भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है? प्रश्न और उत्तर Class 11

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Kshitij chapter – 8 Bharatvarsh ki unnati kaise ho sakti hai? Question and Answers 

प्रश्न – अभ्यास

1. पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि ‘इस अभागे आलसी देश में जो कुछ हो जाए वही बहुत कुछ है’ क्यों कहा गया है? 

Answer:  

“इस सुस्त देश में, जहाँ कुछ हो या न हो, वही सब कुछ है,” ऐसा कहा जाता है क्योंकि यहाँ के लोग अक्रिया और अपनी कमियों की वजह से स्वयं को किसी प्रयास की ओर नहीं बढाते। उन्हें तो सिर्फ दूसरों के कार्यों के फल का इंतजार होता है, अर्थात् आलस्य और निष्क्रियता ने उन्हें किसी योग्यता से महकिया हो दिया है, इसलिए जैसा है, वह उनके लिए सही है।”

2. ‘जहाँ रॉबर्ट साहब बहादुर जैसे कलेक्टर हों, वहाँ क्यों न ऐसा समाज हो’ वाक्य में लेखक ने किस प्रकार के समाज की कल्पना की है?

Answer:

“लेखक वहाँ की सोचते हैं, ‘जहाँ ऐसे कलेक्टर जैसे महान व्यक्तियां होते हैं, क्यों न वहाँ ऐसा समाज हो?’ जहाँ सभी लोग अपनी निष्क्रियता के बावजूद कर्तव्यों को अनदेखा करते हैं। ये लोग स्वयं कर्तव्यों के ज्ञान से रहित हैं। हाँ, अगर कोई उन्हें उनके कर्तव्यों की याद दिला देता है, तो वे तुरंत उन कामों में लग जाते हैं। इससे मतलब है कि अगर हिंदुस्तानी समुदाय को उचित नेतृत्व मिले, तो वे सभी कुछ कर सकते हैं।”

जिस प्रकार ट्रेन बिना इंजिन के नहीं चल सकती ठीक उसी प्रकार ‘हिंदुस्तानी लोगों को कोई चलानेवाला हो’ से लेखक ने अपने देश की खराबियों के मूल कारण खोजने के लिए क्यों कहा है? 

Answer:

“अपने दोषों के मूल कारणों का पता लगाने से जो भी बाधाएं हमारी प्रगति के मार्ग में हैं, उन्हें दूर किया जा सकता है। इस तरीके से, छुपे हुए व्यक्तियों को पकड़कर उन्हें दंडित किया जा सकता है, जिनका संबंध देश की सामृद्धि से है। इसी तरह, देश को सुधारा जा सकता है और उसकी प्रगति हो सकती है।”

4. देश की सब प्रकार से उन्नति हो, इसके लिए लेखक ने जो उपाय बताए उनमें से किन्हीं चार का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।

Answer:

“देश की सर्वांगीण उन्नति के लिए, देशवासियों को आलस्य को त्यागकर कर्म में लग जाना चाहिए। हमें अपने आप पर निर्भर रहकर प्रयास करना होगा, बिना किसी दूसरे पर आश्रित होने के। देश की उन्नति में बाधक प्राकृतिक विघटनों को खोजकर उन्हें जड़ से उखाड़ना होगा। हमें धर्म में निहित समर्थन और सहायता वाली बातों को ही स्वीकार करना होगा और सामाजिक कुप्रथाओं को दूर करना होगा। देश की उन्नति के लिए, हमें सभी धर्म और जाति के लोगों को विभिन्नता को छोड़कर आपसी प्यार को प्रोत्साहित करना होगा। हमें यह अभियान करना होगा कि हमारे उपयोग की सभी वस्तुएँ देश में ही निर्मित हों, ताकि सभी का भलाई हो, हम वैसी ही किताबें पढ़ें, वैसे ही खेल खेलें, और वैसे ही बातचीत करें। हमें परदेशी वस्तुओं और भाषाओं का सहारा न लेते हुए अपनी भाषा में ही उन्नति करने का प्रयास करना होगा। तभी देश की सर्वांगीण उन्नति संभव हो सकती है।”

5. लेखक जनता से मत-मतांतर छोड़कर आपसी प्रेम बढ़ाने का आग्रह क्यों करता है?

Answer:

लेखक जनता से मत-मतांतर छोड़कर आपसी प्रेम बढ़ाने का आग्रह इसलिए करता है क्योंकि “हमारे देश की समृद्धि के लिए, हमें आपसी प्यार को बढ़ावा देना होगा। इसलिए, हमें जाति, धर्म, या शहरों के नाम पर आपसी विवाद में नहीं पड़ना चाहिए। हमें उन कार्यों का पालन करना चाहिए, जो हमारे भलाई के लिए उपयुक्त होते हैं। खासतर परदेशी वस्तुओं और भाषाओं पर पूरी तरह से निर्भर नहीं करना चाहिए।”

6. आज देश की आर्थिक स्थिति के संदर्भ में निम्नलिखित वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए- ‘जैसे हज़ार धारा होकर गंगा समुद्र में मिली है, वैसे ही तुम्हारी लक्ष्मी हज़ार तरह से इंग्लैंड, फरांसीस, जर्मनी, अमेरिका को जाती है। ‘

Answer:

“आज हमारे देश की आर्थिक स्थिति कुछ खास नहीं है। इसका मुख्य कारण है विभिन्न दशकों तक आने वाले विदेशी शासकों का शासन। हमारे देश पर ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, और अन्य देशों ने शासन किया और इस दौरान यहाँ के संसाधनों का अपने देश में उपयोग किया। इसके परिणामस्वरूप, भारत की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई, हालांकि देश समृद्ध हो गया।”

7. आपके विचार से देश की उन्नति किस प्रकार संभव है? कोई चार उदाहरण तर्क सहित दीजिए। 

Answer:

जीवन में, हमारे विचारों के साथ ही हमारी देश की उन्नति का मार्ग भी जुड़ा होता है। जब हम अच्छी शिक्षा प्राप्त करते हैं, तो हमें समझ में आता है कि शिक्षा ही सब कुछ है। यह हमारे विकास के माध्यम के रूप में कार्य करती है और हमें देश की उन्नति में भी सहायक बनती है।

रोजगार परक कार्य सीखना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाता है। जब हम अच्छा काम करते हैं, तो हम अपने व्यकास के साथ-साथ देश के विकास में भी योगदान करते हैं।

मातृभाषा का सम्मान करना और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का समर्थन करना, हमारे सांस्कृतिक और राष्ट्रीय आयाम को मजबूत करता है। इससे हम अपने देश की भौगोलिक और मानव संसाधनों की रक्षा करते हैं और देश की उन्नति को संभव बनाते हैं।

इसी प्रकार, हमारे विचार और क्रियाएं हमारे देश की उन्नति के लिए महत्वपूर्ण हैं और हमें इन प्रिय नीतियों का पालन करना चाहिए। इसके माध्यम से हम एक सशक्त और समृद्ध भारत का निर्माण कर सकते हैं।

8. भाषण की किन्हीं चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। उदाहरण देकर सिद्ध कीजिए कि अध्याय ‘भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?’ एक भाषण है। 

Answer:

भाषण की चार मुख्य विशेषताओं को सही तरीके से प्रकट किया है :-

1. भाषण धारा प्रवाह रूप में किया गया विवरण है: यह भाषण एक निरूपक और धाराप्रवाह रूप में है, जिसमें एक प्रक्रियाशील दृष्टिकोण से विषय का विवरण किया गया है।

2. भाषण में कुछ काम करने या न करने का संदेश निहित होता है: भाषण में साक्षरता और देश के उन्नति में भागीदारी के महत्व का संदेश है, जो एक महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश को प्रस्तुत करता है।

3. भाषण सटीकता युक्त होता है: भाषण में सटीक तथ्यों का उपयोग किया गया है, और किसी भी प्रकार के व्यर्थ की बातें नहीं हैं।

4. भाषण की भाषा सरल तथा सहज होती है: यह भाषण सरल और सहज भाषा में है, जिससे विचार सही तरीके से साझा किए जा सकते हैं और व्यावासिक रूप से समझा जा सकता है।

इस भाषण के माध्यम से, व्यक्ति ने एक महत्वपूर्ण संदेश को प्रस्तुत किया है और इसे एक आम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए सरल और प्रभावी ढंग से बयां किया है।

9. ‘अपने देश में अपनी भाषा में उन्नति करो’ से लेखक का क्या तात्पर्य है? वर्तमान संदर्भों में इसकी प्रासंगिकता पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।

Answer:

‘अपने देश में अपनी भाषा में उन्नति करो’ से लेखक का यह संदेश है कि हमें अपनी मातृभाषा को महत्व देना चाहिए। विदेशी भाषाओं का उपयोग न करके हमें अपनी भाषा को प्रोत्साहित करना चाहिए। हमारी भाषा ही हमारी सांस्कृतिक और भाषाई पहचान है, और इसके माध्यम से ही हम विशेषज्ञता प्राप्त कर सकते हैं। आजकल कई लोग अंग्रेजी के प्रयोग में इतने लिपटे रहते हैं कि हमारी मातृभाषा का उपयोग घट रहा है, जिसका सीधा प्रभाव हमारे सांस्कृतिक धरोहर पर हो रहा है। हमें अपनी मातृभाषा के महत्व को समझना चाहिए और उसके प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए, क्योंकि यह हमारे राष्ट्र के विकास के लिए आवश्यक है।

10. निम्नलिखित गद्यांशों की व्याख्या कीजिए-

(क) सास के अनुमोदन से ……..फिर परदेस चला जाएगा। 

Answer:

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘अंतरा’ (भाग-1) में संक उन्नति कैसे हो सकती है?’ से अवतरित है। इसके रचयिता भारतेंदू लेखक भारत वर्ष की उन्नति के बारे में विचार प्रकट करते राज्य में सब तरह के समान एवं अवसर मिलने के बाद भी हम लोग हुए पह पा रहे हैं तो यह हमारा दुर्भाग्य ही है। बाद में वह इस संदर्भ में एक उदाहरण से अपनी बात सिद्ध करता है।

व्याख्या – लेखक इस तरीके से कहते हैं कि अंग्रेजों के राज्य में वस्तु और अवसरों की प्राप्ति के बावजूद, हमारा देश उन्नति नहीं कर पा रहा है, जैसे कोई परदेशी पति घर आया है। वे यह उपमान करते हैं कि हमारी भाषा और संस्कृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी को नकारते हैं। इससे हमारा संबंध तोड़ दिया जाता है, और हम खो देते हैं वह विशेष उत्कंठा और प्राण जो हमारे लिए महत्वपूर्ण होता है। लेखक का संदेश है कि हमें अपनी मातृभाषा और संस्कृति को महत्व देना चाहिए, वरना हमारा समृद्धि के मार्ग में रुकावटें आ सकती हैं।

विशेष –

1. इसमें लेखक ने भारतीय लोकजीवन का मार्मिक उदाहरण देते हुए अपने विचारों की पुष्टि की है।

2. भाषा आम बोलचाल की व्यावहारिक, सरल, सरस एवं प्रवाहमयी है। 

3. अलंकारिकता एवं भावात्मकता का सन्दर समन्वय है।

4. उदाहरण शैली का प्रयोग किया गया है।

(ख) दरिद्र कुटुंबी इस तरह …….. वही दशा हिंदुस्तान की है। 

Answer:

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘अंतरा’ (भाग-1) में संकलित एवं भारतेंदू हरिशचंद्र द्वारा लिखित निबंध ‘भारत वर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?’ से लिया गया है। इस गद्यांश में लेखक ने भारतवर्ष की गरीबी का यथार्थ चित्रण किया गया है। लेखक ने कहा है कि भारत के लोगों में आलस्य छाया हुआ है, जबकि निर्धनता के कारण फटेहाली की स्थिति आ गई है।

व्याख्या – लेखक का कहना है कि हिंदुस्तान की वर्तमान स्थिति दुखद है। जब किसी परिवार की आर्थिक परिस्थितियाँ अत्यंत बुरी होती हैं, और उनके पास केवल फटे-पुराने कपड़े होते हैं, तो वह परिवार की आबरू को बचाने के लिए कठिनाइयों का सामना करते हैं। इसी तरह, हर गरीब व्यक्ति अपनी गरिमा को संरक्षित रखने का प्रयास करता है। इसकी एक मुख्य वजह है गरीबी, जिसके कारण लोग अपनी स्वाभिमान बचाने के लिए कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

विशेष – 

1. यहाँ लेखक ने हिंदुस्तान की निर्धनता का मर्मस्पर्शी चित्रण किया है।

2. भाषा सरल, सजीव एवं प्रवाहपूर्ण है।

3. चित्रात्मकता का गुण दर्शनीय है।

4. लेखक ने उदाहरण शैली का प्रयोग किया है।

Answer:

(ग) वास्तविक धर्म तो …….. शोधे और बदले जा सकते हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्यपुस्तक ‘अंतरा’ (भाग-1) में संकलित निबंध ‘भारत वर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?’ से उद्धृत है। इसके रचयिता भारतेंदू हरिशचंद्र हैं। लेखक ने इससे पूर्व यह बताया कि हमारे धर्म में जो भी व्रत-त्यौहार बनाए गए हैं, उनका कोई विशेष मतलब है। कोई उपवास शरीर की शुद्धि के लिए है तो कोई त्यौहार स्वच्छता के लिए। इस प्रकार धर्मनीति और समाजनीति को लोक कल्याण हेतु परस्पर मिला दिया गया था।

व्याख्या – लेखक इस प्रस्तावना से वक्तव्य करते हैं कि प्राचीन समय में धार्मिक अनुष्ठानों और परंपराओं का उद्देश्य समाज के लाभ के लिए था, परंतु दुखद तौर पर लोगों ने इन्हें धर्म के रूप में ही ग्रहण किया। वास्तविक धर्म ईश्वर की भक्ति, उनके नाम का स्मरण, और उनके पादों के आदर का होना चाहिए। समाज में सामाजिक मूल्यों, व्रतों, और त्योहारों का प्रमुख उद्देश्य समृद्धि का समर्थन करना और व्यवस्था की रक्षा करना है। इससे समाज शिक्षित और संरचित रहता है, और लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिलती है। इस प्रकार की प्रथाओं में समय और स्थान के आधार पर परिवर्तन किया जा सकता है, जो समाज की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करता है।

विशेष –

1. इन पंक्तियों में लेखक ने धर्म के वास्तविक स्वरूप के बारे में विचार प्रकट किया है।

2. भाषा में सहजता, सजीवता एवं बोधगम्यता है।

3. विचारात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।

योग्यता- विस्तार

1. देश की उन्नति के लिए भारतेंदु ने जो आह्वान किया है उसे विस्तार से लिखिए।

Answer:  

भारतेंदु ने देश की उन्नति के लिए यह आह्वान किया है कि हमें अपने राष्ट्रीय उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए समर्पित रहना चाहिए। हमें सभी वर्गों के बीच सामाजिक समानता की दिशा में कठिन प्रयास करना चाहिए ताकि समाज में सामंजस्य और साहमति हो सके। उन्होंने भारतीय समाज को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उत्साहित किया है, और इसके लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार करने की आवश्यकता को महत्वपूर्ण माना है। वे सामाजिक और आर्थिक न्याय की प्राप्ति के लिए कठिन प्रयासों की आवश्यकता को भी जागरूक करते हैं और देश की सामाजिक और आर्थिक समृद्धि के लिए जनसंख्या के नियंत्रण का महत्व बताते हैं। उनका संदेश है कि हमें राष्ट्र के विकास के लिए परिश्रम करना और सामाजिक सुधार को समर्थन देना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।

2. पाठ में आए बोलचाल के शब्दों की सूची बनाइए और उनके अर्थ लिखिए।

Answer:

बोलचाल के शब्दों अर्थ
मिहनत –मेहनत
तिहवार –त्योहार
सुधरैगा –सुधरेगा
रक्खो –रखो
दीआसलाई –दियासलाई
अबकी –इस बार की
फैलावैं –फैलावें
पहिनकर –पहनकर
छिन-प्रतिछिन –क्षण-प्रतिक्षण
फरांसीस –फ्रांसीस
सम्हाला –संभाला
पहिले –पहले
कहैं –कहें
पहिचानकर –पहचानकर
छोड़ –छोड़े

3. भारतेंदु उर्दू में किस उपनाम से कविताएँ लिखते थे? उनकी कुछ उर्दू कविताएँ ढूँढ़कर लिखिए। 

Answer:

भारतेंदु का उर्दू में उपनाम “आज़ाद” था। उन्होंने अपने उर्दू कविताओं में गंगा, यमुना, ताजमहल, पुरानी दिल्ली, और भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण तत्वों को व्यक्त किया। उनकी कविताओं में वे देश के सांस्कृतिक धरोहर को महत्वपूर्ण रूप से प्रकट करते थे और स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरणा देते थे।

कुछ उर्दू कविताएँ:

1. “तिरंगा” – इस कविता में भारत के तिरंगे की महत्वपूर्ण भूमिका को बयां किया गया है।

2. “यमुना” – यमुना नदी के प्राकृतिक सौन्दर्य को वर्णन किया गया है।

3. “ताजमहल” – इस कविता में ताजमहल के रचनाकार और उसके सौन्दर्य का गुणगान किया गया है।

4. “पुरानी दिल्ली” – पुरानी दिल्ली की महत्वपूर्ण धरोहरों को याद कराया गया है।

भारतेंदु की उर्दू कविताएँ उनके प्रेम और समर्पण की भावना से भरपूर थीं, और वे भारतीय साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।

4. पृथ्वीराज चौहान की कथा अपने शब्दों में लिखिए।

Answer:

पृथ्वीराज चौहान की कथा:

पृथ्वीराज चौहान एक महान राजा थे जो दिल्ली क्षेत्र के चौहान राजवंश के सदस्य थे। वे अपने योग्यता, साहस, और धैर्य के लिए प्रसिद्ध थे।

पृथ्वीराज ने युवा आयु में ही अपने पिता के मृत्यु के बाद दिल्ली का राजा बनने का दावा किया। उन्होंने अपनी साहसिक और योग्यता के बल पर दिल्ली क्षेत्र को अपने अधीन किया और अपनी सत्ता को मजबूत बनाया।

पृथ्वीराज चौहान की कथा में उनका विवाह साम्राज्य बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। उन्होंने सिसोदिया राजकुमारी सान्युक्ता से विवाह किया, जिससे उनका साम्राज्य और भी मजबूत हुआ।

पृथ्वीराज चौहान का सबसे महत्वपूर्ण प्रसंग है गौरी युद्ध, जिसमें उन्होंने मुहम्मद गजनी के खिलजी साम्राज्य के खिलफ बड़ी संघर्ष किया। इस युद्ध में पृथ्वीराज ने बड़ी पराक्रम दिखाया, लेकिन वे इस युद्ध में हार गए और कैदी बन गए।

फिर भी, पृथ्वीराज चौहान का नाम भारतीय इतिहास में महानतम राजपूत योद्धा के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने अपने धैर्य और साहस के साथ अपने साम्राज्य को मजबूत किया और भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण चरणों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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