NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 शुक्रतारे के समान प्रश्न और उत्तर

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Shukra tare ke saman Questions and Answers

Shukratare ke Saman Class 9 – प्रश्न – अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए:

प्रश्न 1. महादेव भाई ने अपना परिचय किस रूप में देते थे?

उत्तर:  महादेव भाई अपना परिचय गांधी जी के पीर-बावर्ची- खर के रूप में दिया।

प्रश्न 2. ‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक में लेखों की कमी क्यों रहने लगी थी?

उत्तर: ‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक में लेखों की कमी इसलिए हो गई थी क्योंकि प्रमुख लेखक हनीमैन को अंग्रेजी सरकार ने देश निकाला दे दिया था, इस वजह से  लेखों की कमी हो गई।

प्रश्न 3. गांधीजी ने ‘यंग इंडिया’ प्रकाशित करने के विषय में क्या निश्चय किया?

उत्तर:  गांधीजी ने ‘यंग इंडिया’ प्रकाशित करने के विषय में यह निश्चय लिया कि वे हफ्ते में दो बार प्रकाशित करेंगे।

प्रश्न 4. गांधीजी से मिलने से पहले महादेव भाई कहाँ नौकरी करते थे?

उत्तर:  गांधी जी से मिलने से पहले महादेव भाई सरकार के लिए अनुवाद विभाग  में  नौकरी करते थे।

प्रश्न 5. महादेव भाई के झोलों में क्या भरा रहता था?

उत्तर: महादेव भाई के  झोलो में समाचार पत्र मासिक पत्रिका तथा अनेक प्रकार की पुस्तकें भरी रहता थी।

प्रश्न 6. महादेव भाई ने गांधीजी की कौन-सी प्रसिद्ध पुस्तक का अनुवाद किया था?

उत्तर:  गांधी जी के द्वारा लिखी गई ‘सत्य के प्रयोग’ नामक पुस्तक महादेव भाई ने उस पुस्तक का अनुवाद अंग्रेजी में किया था।

प्रश्न 7. अहमदाबाद से कौन-से दो साप्ताहिक निकलते थे?

उत्तर:  यंग इंडिया और नवजीवन यह तो समाचार पत्र अहमदाबाद में साप्ताहिक निकलते थे।

प्रश्न 8. महादेव भाई दिन में कितनी देर काम करते थे?

उत्तर:  महादेव भाई पूरे दिन में 17 से 18 घंटे काम करते थे।

प्रश्न 9. महादेव भाई से गांधीजी की निकटता किस वाक्य से सिद्ध होती है?

उत्तर: ‘ए रे  जख्म जोगे नही जशे’ –  इस वाक्य से महादेवी भाई से गांधीजी की निकटता सिद्ध होती है।

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर ( 25-30) शब्दों में लिखिए-

प्रश्न 1. गांधीजी ने महादेव को अपना वारिस कब कहा था?

उत्तर:  जब 1919 मे हुआ जलियांवाला बाग कांड में जब  महादेव को गिरफ्तार कर लिया गया, तब  गांधीजी ने महादेव को अपना वारिस कहा था।

प्रश्न 2. गांधीजी से मिलने आनेवालों के लिए महादेव भाई क्या करते थे?

उत्तर:  गांधी जी से मिलने आने  बालों के लिए महादेव भाई यह कहते थे कि, वह पहले उनकी समस्याएं खुद सुन लेते थे और उस पर एक टिप्पणी तैयार कर – कर गांधी जी को बता देते उसके बाद वह आने वाले लोगों को गांधी जी से मिलने देते थे।

प्रश्न 3. महादेव भाई की साहित्यिक देन क्या है?

उत्तर:  महादेव भाई ने ‘सत्य का प्रयोग’ जो गांधीजी की आत्मकथा थी उन्होंने उसे अंग्रेजी में अनुवाद किया था। वे  प्रतिदिन डायरी लिखते थे।  उन्होंने शरद बाबू टैगोर आदि कहानियों का भी अनुवाद किया।  यंग इंडिया में भी लिख लिखते थे।

प्रश्न 4. महादेव भाई की अकाल मृत्यु का कारण क्या था?

उत्तर:  महादेव भाई के काल में तू इस वजह से हुई थी वह रोज 11 मिल चलकर सेवाग्राम आते थे और जाते हुए थे इस वजह से भरी गर्मी व चलने के कारण उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ा, जिस कारण की अकाल मृत्यु हो गई।

प्रश्न 5. महादेव भाई के लिखे नोट के विषय में गांधीजी क्या कहते थे?

उत्तर:  महादेव भाई के लिखे नोट के विषय में गांधी जी कहते हैं कि उनके नोट में कॅमा भर की मिस्टेक भी नहीं होती थी ।  उनके लेख बिल्कुल सटीक होते थे।  अगर कोई और लेख लिखता था और उसमें जल्दी मिलती थी गांधी से कहते थे कि महादेव भाई के नोटों से मिला लेना था ना।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर ( 50-60 शब्दों में) लिखिए:

प्रश्न 1. पंजाब में फौजी शासन ने क्या कहर बरसाया?

उत्तर: पंजाब  मे फौजी शासन में निम्नलिखित कहर बरसाया :-

(क)  अधिकतर नेताओं को गिरफ्तार कर दिया तथा उन्हें उम्र कैद की सजा सुना दी और काला पानी जेल में भेज दिया।
(ख)  राष्ट्रीय दैनिक पत्र ‘ ट्रिब्यून’  के संस्थापक को 10 साल की सजा सुना दी।

प्रश्न 2. महादेव जी के किन गुणों ने उन्हें सबका लाड़ला बना दिया था?

उत्तर: महादेव जी अपने काम को पूरा मन लगाकर करते थे तथा बड़े लगन से करते थे। उनके लेख में जरा सी कोमा भर की भी गलती नहीं होती थी।  वह बहुत तेजी से लिखते थे।  वे गांधीजी की सेवा एक पक्के सेक्रेटरी की तरह करते थे। इसलिए वे सबके लाड़ले बन गये थे।

प्रश्न 3. महादेव जी की लिखावट की क्या विशेषताएँ थीं?

उत्तर: महादेव जी की लिखावट की निम्नलिखित विशेषताएं थी :-
(क) महादेव की लिखाई का पूरे भारत में कोई जोड़ नहीं था। (ख) गांधीजी के जो पत्र वाइसराय के नाम से होते थे वे महादेव की लिखावट में होते थे।
(ग) वाइसराय भी उनकी लिखाई के कायल थे।
(घ) उनकी लिखावट पढ़ने वाले को मंत्रमुग्ध कर देती थी।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए–

प्रश्न1. ‘अपना परिचय उनके ‘पीर बावर्ची भिश्ती खर’ के रूप में देने में वे गौरवान्वित महसूस करते थे।’

उत्तर: ‘अपना परिचय उनके ‘पीर बावर्ची भिश्ती खर’ के रूप में देने में वे गौरवान्वित महसूस करते थे’ क्योंकि गांधीजी उनके लिए आदर्श और संरक्षक थे। लेखक महादेव भाई देसाई जी बताते है कि वे अपने आप को गाँधी जी का निजी सचिव ही नहीं बल्कि एक ऐसा मित्र मानते थे , जो हमेशा उनके साथ रहे और उनके सारे काम इतनी निपुर्णता से करते थे की उन्होंने अपना परिचय ‘पीर बावर्ची भिश्ती खर’ के रूप में देना ठीक समझा इतना ही नही, वे यह बताने में गौरवान्वित महसूस करते थे।

प्रश्न2. इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह करना होता था।

उत्तर: इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह करना होता था, यहां लेखक महादेव भाई देसाई जी का आशय यह है कि , वह बता रहे है की उन्होंने जो वकालत की पढ़ाई की है उसके मुताबिक वहा सही को गलत और गलत को सही पेश करना होता है क्योंकि , इसमें अपने पक्ष को जीत दिलाना इनका कर्तव्य होता है , जो की लेखक महादेव भाई देसाई जी के स्वभाव के विरुद्ध थी, इसलिए यह कार्य उनके लिए अत्यधिक कठिन है।

प्रश्न3. देश और दुनिया को मुग्ध करके शुक्रतारे की तरह ही अचानक अस्त हो गए।

उत्तर: जिस प्रकार नक्षत्र मंडल में करोड़ों तारों के मध्य रहकर भी शुक्रतारा अपनी आभा और प्रभा से सबका ध्यान अपनी ओर खींच लेता है भले ही उस की चमक थोड़े समय के लिए ही क्यों ना हो। उसी प्रकार महादेव भाई देसाई अपने मिलनसार स्वभाव विनम्रता मृदुभाषी था शुद्ध एवं सुंदर लिखावट तथा अपने लेखन की मनोहारी शैली से सभी का दिल जीत लिया और शुक्र तारे के समान अपनी एक अलग पहचान बनाकर अस्त हो गए अर्थात हमें छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए चले गए।

प्रश्न4. उन पत्रों को देख-देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वाइसराय लंबी साँस उसाँस लेते रहते थे।

उत्तर: महादेव भाई देसाई लिखावट इतनी सुंदर और आशा इतनी शुद्ध थी कि कोई भी उनके द्वारा लिखे पत्र को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता था और उनके मुंह से वाह ही निकलती थी। उनके द्वारा लिखे पत्र जब दिल्ली और शिमला में बैठे वॉइस रॉय के पास जाते थे तो वह उनकी लिखावट देखकर दंग रह जाते थें।

भाषा-अध्ययन 

प्रश्न1. ‘इक’ प्रत्यय लगाकर शब्दों का निर्माण कीजिए

उत्तर:

सप्ताह साप्ताहिक
अर्थ आर्थिक
साहित्यसाहित्यिक
धर्मधार्मिक
व्यक्तिवैयक्तिक
मासमासिक
राजनीतिराजनैतिक
वर्षवार्षिक

प्रश्न 2. नीचे दिए गए उपसर्गों का उपयुक्त प्रयोग करते हुए शब्द बनाइए-

अ, नि, अन, दुर, वि, कु, पर, सु, अधि

आर्य –                

आगत – 

डर – 

आकर्षक – 

क्रय – 

मार्ग – 

उपस्थित – 

नायक – 

भाग्य – 

उत्तर:

आर्यअन + आर्य   = अनार्य
आगत  सु + आगत =स्वागत
डरनि + डर = निडर
आकर्षकअन + आकर्षक = अनाकर्षक
क्रयवि + क्रय = विक्रय
मार्गकु + मार्ग = कुमार्ग
उपस्थितअन + उपस्थित = अनुपस्थित
लोकपर + लोक = परलोक
नायकवि + नायक = विनायक
भाग्यदुर + भाग्य = दुर्भाग्य

3. निम्नलिखित मुहावरों का अपने वाक्य में प्रयोग कीजिए।

उत्तर: 

   मुहावरे                              वाक्य प्रयोग

आड़े हाथों लेना देर से घर आने पर पिता ने पुत्र को आड़े हाथों लिया।
दाँतों तले अँगुली दबाना लक्षमीबाई का रण कौशल देख अंग्रेज़ों ने दाँतों तले अँगुली दबा ली।
लोहे के चने चबानाइस रेगिस्तान को हरा-भरा बनाना लोहे के चने चबाने जैसा है।
अस्त हो जानाअपनी प्रतिभा की चमक दिखाकर महादेव भाई असमय अस्त हो गए।
मंत्रमुग्ध करनासुमन के बुने स्वेटर की बुनाई मुझे मंत्रमुग्ध कर रही है।

प्रश्न4. निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए-

वारिस  –  ………..

जिगरी  –  ………..

कहर    –  ………..

मुकाम  –  ………..

रूबरू  –  ………..

फ़र्क    –  ………..

तालीम –  ………..

गिरफ्तार – ……….

उत्तर: 

वारिसवंश
जिगरीपक्का
कहरजुल्म , मुसीबत 
मुकाममंजिल
रूबरूआमने–सामने , समक्ष
फ़र्कअंतर , भेद
तालीमज्ञान , शिक्षा 
गिरफ्तारकैदी

प्रश्न 5. उदाहरण के अनुसार वाक्य बदलिए-

उदाहरण: गांधी जी ने महादेव भाई को अपना वारिस कहा था। 

गांधी जी महादेव भाई को अपना वारिस कहा करते थे।

1. महादेव भाई अपना परिचय ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देते थे।

उत्तर: महादेव भाई अपना परिचय पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में दिया करते थे।

2. पीड़ितों के दल-के-दल गामदेवी के मणिभवन पर उमड़ते रहते थे।

उत्तर: पीड़ितों के दल-के-दल गामदेवी के भवन पर उमड़ा करते थे।

3. दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकलते थे।

उतर: दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकला करते थे।

4. देश-विदेश के समाचार-पत्र गांधी जी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी करते थे।

उत्तर: देश-विदेश के समाचार-पत्र गांधी जी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी किया करते थे।

5. गांधी जी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाते थे।

उतर: गांधी जी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाया करते थे।

लेखक परिचय:

इस पाठ के लेखक है स्वामी आनंद। सन्यासा स्वामी आनंद की जन्म गुजरात के काठियावाड़ जिले के किमड़ी गाँव में सन् 1887 में हुआ। इनका मूल नाम हिम्मतलाल था। जब ये दस साल के थे तभी कुछ साधु इन्हें अपने साथ हिमालय की ओर ले गए और उनका नामकरण किया- स्वामी आनंद। 1907 में स्वामी आनंद स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए। महाराष्ट्र से कुछ समय तक ‘तरुण हिंद’ अखबार निकाला, फिर बाल गंगाधर तिलक के केसरी अखबार से जुड़ गए। 1917 में गांधीजी के संसर्ग में आने के बाद उन्हीं के निदेशन में ‘नवजीवन’ और ‘यंग इंडिया की प्रसार व्यवस्था सँभाल ली। इसी बहाने इन्हें, गांधीजी और उनके निजी सहयोगी महादेव भाई देसाई और बाद में प्यारेलाल जी को निकट से जानने का अवसर मिला।

मूलत: गुजराती भाषा में लिखे गए प्रस्तुत पाठ ‘शुक्रतारे के समान’ में लेखक ने गांधीजी के निजी सचिव महादेव भाई देसाई की बेजोड़ प्रतिभा और व्यस्त दिनचर्या को उकेरा है। लेखक अपने इस रेखाचित्र के नायक के व्यक्तित्व और उसकी ऊर्जा, उनकी लगन और प्रतिभा से अभिभूत है। महादेव भाई की सरलता, सज्जनता, निष्ठा,  समपर्ण, लगन और निरभिमान को लेखक ने पूरी ईमानदारी से शब्दों में पिरोया है। इनकी लेखनी महादेव के व्यक्तित्व का ऐसा चित्र खींचने में सफल रही है कि पाठक को महादेव भाई पर अभिमान हो आता है।

लेखक के अनुसार कोई भी महान व्यक्ति, महानतम कार्य तभी कर पाता है, जब उसक साथ ऐसे सहयोगी हों जो उसकी तमाम इतर चिंताओं और उलझनों को अपने सिर ले लें। गांधीजी के लिए महादेव भाई और भाई प्यारेलाल जी ऐसी ही शख्सियत थे।

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