NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़ प्रश्न और उत्तर

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7 Dharam ki Aad Questions and Answers

धर्म की आड़-प्रश्न-अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए:

प्रश्न1. आज धर्म के नाम पर क्या-क्या हो रहा है?

उत्तर:  आज धर्म के नाम पर उत्पात, दंगे – फसाद, हिंसा  आदि हो  रहा है।

प्रश्न2. धर्म के व्यापार को रोकने के लिए क्या उद्योग होने चाहिए?

उत्तर:  धर्म के व्यापार को रोकने के लिए साहस और दृढ़ता होनी चाहिए।

प्रश्न3. लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का कौन सा दिन सबसे बुरा था?

उत्तर:  लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का सबसे बुरा दिन गया था जिस दिन मुल्ला, मौलवियों को हिंदुस्तान में स्थान दिया जाना अवश्य पडा।

प्रश्न4. साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में क्या बात अच्छी तरह घर कर बैठी है?

उत्तर: धर्म और ईमान के लिए जान देना अनिवार्य है यह बात साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में अच्छी तरह घर कर बैठती है।

प्रश्न5. धर्म के स्पष्ट चिह्न क्या है?

उत्तर: सदाचार और शुद्ध आचरण ही धर्म के स्पष्ट चिन है।

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए:

प्रश्न1. चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर क्या करते है?

उत्तर: चलते पुर्जे लोग धर्म के नाम पर लोगों को बेवकूफ तथा मूर्ख बनाते हैं, और उनसे धर्म के नाम पर पैसे निकलवा लेते हैं।

प्रश्न2. चालाक लोग साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठात है?

उत्तर: साधारण आदमी  को पता है कि अगर धर्म पर बात आए तो वह अपनी जान दे भी सकता है और जान ले भी सकता है ऐसी बातें कारण चलाक लोग साधारण आदमी की अवस्था का लाभ उठाते हैं।

प्रश्न3. आनेवाला समय किस प्रकार के धर्म को नहीं टिकने देगा?

उत्तर: आने वाला समय इस धर्म को टिकने नहीं देखा कि 2 घंटे तक पूजा कीजिए तथा पांच बार नमाज पढ़िए यह तो एक तरह के से ईश्वर को रिश्वत देना है।  इन्ही धर्मो को आने वाले समय में टिकने नहीं देगा।

प्रश्न4. कौन-सा कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा?

उत्तर: जब एक धर्म के लोग दूसरे धर्म में टांग अढ़ाएंगे तो यह कार्य देश की स्वाधीनता के विरूद्ध समझा जाएगा।

प्रश्न5. पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन लोगों में क्या अंतर है?

उत्तर: पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन के बीच में निम्नलिखित अंतर है :-
(क) वहाँ धनी लोग निर्धन को चूसना चाहते हैं।
(ख) उनसे पूरा काम लेकर ही वह धनी हुए हैं।
(ग) इसी के कारण साम्यवाद का जन्म हुआ।
(घ) कठिन परिश्रम करने के बाद भी गरीबों को झोपड़ियों में जीवन बिताना पड़ता है।

प्रश्न6. कौन – से लोग धार्मिक लोगों से अधिक अच्छे हैं।

उत्तर: धार्मिक लोगों से वह लोग ज्यादा अच्छे हैं जो नास्तिक हैं अगर उनका व्यापार अच्छा है और वह सबसे अच्छी तरीके से बातचीत करते हैं और उन्हें ज्यादा बुरा या नहीं है।  वे लोग धार्मिक लोगों से ज्यादा अच्छे हैं।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए:

प्रश्न1.धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को कैसे रोका जा सकता है?

उत्तर: धर्म हनुमान के नाम पर किए जाने वाले विशेष व्यापार को निम्नलिखित तरीकों से रोका जा सकता है :-

(क)  सभी लोगों को दृढ़ निश्चय तथा एक साथ पूर्ण कदम उठाना होगा।
(ख)  हमें साधारण और सीधे साधे लोगों को जागरुक करना होगा।
(ग)  हमें लोगों को धार्मिक आडंबरों से बचाना होगा।

प्रश्न2. ‘बुद्धि पर मार’ के संबंध में लेखक के क्या विचार है?

उत्तर:  ‘बुद्धि पर मार’ का  लेखक से यह संबंध है कि वह लोग जो सीधे साधे लोगों की बुद्धि के अंदर धार्मिक आडंबरों के नाम पर विश्व भर देते हैं और धर्म के नाम पर कुछ भी करवाते हैं और उनसे पैसे निकाल वातें हैं।  इसका उद्देश्य तो एक ही होता है खुद का प्रभुत्व स्थापित करना।

प्रश्न3. लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?

उत्तर: लेखक के हिसाब से धर्म की भावना कुछ इस प्रकार होनी चाहिए कि मार्ग में कोई रुकावट न हो और हर व्यक्ति को अपने हिसाब से धर्म की भावना को जगाने की स्वतंत्रता हो।  अलग अलग धर्मों के लोगों को आपस में मिल बांट कर रहना चाहिए तथा टकराव से बचना चाहिए।

प्रश्न4. महात्मा गांधी के धर्म-संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: महात्मा गांधी जी भारत के राष्ट्रपिता है और वह धर्म को हर जगह स्थान देते थे। वह बिना धर्म के एक कदम भी चलने नही है। महात्मा गांधी के लिए धर्म का मतलब है  ऐसा ऊंचा दृश्य, जो हर मनुष्य को सही राह दिखाएं ।ऊँचे और उदार आदर्श हुआ करते थे। वे सभी धर्म को समान भाव से देखते थे।

प्रश्न5. सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना क्यों आवश्यक है?

उत्तर: सब के कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना अवश्य इसलिए है क्योंकि अगर हम ही नहीं सुधरेंगे तो हम दूसरों को कैसे सुधारें में तथा देश में अच्छाई कैसे लाएंगे।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न: 1

उबल पड़ने वाले साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बूझता, और दूसरे लोग उसे जिधर जोत देते हैं, उधर जुत जाता है।

उत्तर: इस कथन का आशय यह है कि एक साधारण आदमी का केवल इतना ही दोष है कि वह बिन कुछ सोचे समझे दूसरो की बताई रह पर चल देता है , उसमे सोचने की शक्ति नही होती, अपने धर्म के लिए अंधी श्रद्धा का भाव मन में लिए , जो-जो लोग उससे करने को बोलते वो धर्म के नाम पर सब कर देता है।  

प्रश्न: 2

यहाँ है बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना-भिड़ाना।

उत्तर: यहां लेखक बुद्धि पर परदा डालने से यह बताना चाह रहे है कि चालक लोग , साधारण लोगो , जो धर्म व ईश्वर पर भरोसा रखते है उनके दिमाग में पहले ईश्वर के नाम पर डर बिठाते है , फिर इसका निवारण बताकर स्वयं ही ईश्वर का स्थान ले लेते है तथा अपने स्वार्थ के लिए लोगो से अपने अनुसार कर्म करवाते है जिससे समाज के लोग एक दूसरे से लड़ बैठते है तथा स्वयं और समाज का बड़ा नुकसान कर रहे होते है।

प्रश्न: 3

अब तो, आपका पूजा-पाठ न देखा जाएगा, आपकी भलमनसाहत की कसौटी केवल आपका आचरण होगी।

उत्तर: इस उक्ति का अर्थ है की आने वाले समय में मनुष्य को सम्मान उसके अच्छे आचरण और सत्य भाषण की वजह से मिलेगा न की पूजा-पाठ की वजह से।

प्रश्न: 4

तुम्हारे मानने ही से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा, दया करके, मनुष्यत्व को मानो, पशु बनना छोड़ो और आदमी बनो!

उत्तर: कुछ लोग अपने आपको बड़ा आस्तिक बताकर। लोगो को अपने स्वार्थ के लिए मूर्ख बनाते है। ईश्वर ऐसे लोगो से कहता है कि तुम अपने आचरण को सुधारो और खुद पहले एक अच्छे इंसान बन जाओ। दूसरों को धोखा देने की प्रवृति को छोड़ो और खुद पहले एक अच्छा मनुष्य बनो फिर दूसरी को सिखाओ।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न: 1

उदाहरण के अनुसार शब्दों के विपरीतार्थक लिखिए-

सुगम – दुर्गम

ईमान – ………..

धर्म – ………..

स्वार्थ – ……….

साधारण – ………….

नियंत्रित – ………

दुरुपयोग – …………

स्वाधीनता – ……

उत्तर:

सुगम – दुर्गम

ईमान – बेईमान

धर्म – अधर्म

स्वार्थ – निस्वार्थ

साधारण – असाधारण

नियंत्रित – अनियंत्रित

दुरुपयोग – सदुपयोग 

स्वाधीनता – पराधीनता

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