NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9 अग्नि पथ प्रश्न और उत्तर Class 9

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9 Agnipath Questions and Answers

पाठ : 9  अग्नि पथ

प्रश्न-अभ्यास

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

(क) कवि ने ‘अग्नि पथ’ किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?

उत्तर:  कवि ने अग्निपथ मानव जीवन के बीच में आने वाली कठिनाइयों के प्रतीक स्वरूप बताया है ।

(ख) ‘माँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना
चाहता है?

उत्तर: कभी नहीं शब्दों का प्रयोग बार-बार इसलिए किया है क्योंकि मनुष्य के जीवन में बहुत सारी कठिनाइयां आती है जिस कारण मनुष्य दूसरों से सहायता मांगता है परंतु कभी है कहता है कि दूसरों से मांग मत खुद खून में लथपथ होकर कठिनाइयों का सामना कर।

(ग) ‘एक पत्र-छाँह भी माँग मत’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: ‘एक पत्र-छाँह भी माँग मत’ :- इस पंक्ति का यह आशा है कि मनुष्य अपनी कठिनाइयों के अनुसार मांगता है जिस कारण उसका आत्मविश्वास कमजोर हो जाता है। इसलिए कभी यह कहता है कि उसे अपने हाथी अपनी कठिनाइयों का सामना करना चाहिए उसे दूसरे से  मदद नहीं मागंनी चाहिए।

2. निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए:

(क) तू न थमेगा कभी
तू न मुड़ेगा कभी

उत्तर: तू न थमेगा कभी तू न मुड़ेगा कभी :-  इस पंक्ति का यह है आशय की मनुष्य के जीवन में बहुत सी कट नहीं आती है मनुष्य उन कठिनाइयों से भागता है तथा दूसरों से मदद मांगता है पर कभी यह कहता है कि दूसरों से मदद  मत   मांग और कभी यह कहता है कि तू कभी थकिया मत और कभी रूकियो  मत।

(ख) चल रहा मनुष्य है
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ

उत्तर: चल रहा मनुष्य है अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ :-  इस पंक्ति का आशय है कि  मनुष्य के जीवन में जो भी कठिनाई आती है उन सभी को लेकर हरिवंश राय बच्चन जो इस कविता के कवि है यह कहते हैं कि मनुष्य को कभी रुकना नहीं चाहिए उसे खून में लथपथ होते हुए भी कठिनाइयों से हार नहीं माननी चाहिए।

3. इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:  इस कविता का मूल भाव यह है कि  मनुष्य का जीवन कठिनाइयों से भरा पड़ा है इसीलिए इस पाठ के कवि हरिवंश राय बच्चन यह कहते हैं कि मनुष्य को किसी भी हालत में संघर्ष करके अपने कठिनाइयों से डटकर लड़ना चाहिए। खून में लथपथ होने के बावजूद भी मनुष्य को कठिनाइयों का सामना करने के लिए हर वक्त तैयार रहना चाहिए। इस जीवन पथ में अनेक कठिनाइयां आएंगे परंतु उन कठिनाइयों को छोड़ते  हुए जीवन पथ को चलना चाहिए और पार करना चाहिए।

कवि परिचय

इस पाठ के कवि है हरिवंशराय बच्चन।हरिवंशराय बच्चन का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में 27 नवंबर 1907 को हुआ। ‘बच्चन’ इनका माता-पिता द्वारा प्यार से लिया जानेवाला नाम था, जिसे इन्होंने अपना उपनाम बना लिया था। बच्चन कुछ समय तक विश्वविद्यालय में प्राध्यापक रहने के बाद भारतीय विदेश सेवा में चले गए थे। इस दौरान इन्होंने कई देशों का भ्रमण किया और मंच पर ओजस्वी वाणी में काव्यपाठ के लिए विख्यात हुए। बच्चन की कविता सहज और संवेदनशील हैं। इनकी रचनाओं में व्यक्ति-वेदना, राष्ट्र-चेतना और जीवन-दर्शन के स्वर मिलते हैं। इन्होंने आत्मविश्लेषणवाली कविताँ भी लिखी हैं। राजनैतिक जीवन के ढोंग, सामाजिक असमानता और कुरीतियों पर व्यंग्य किया है। कविता के अलावा बच्चन ने अपनी आत्मकथा भी लिखी, जो हिंदी की बेजोड़ कृति मानी गई।

बच्चन की प्रमुख कृतियाँ हैं : मधुशाला, निशा-निमंत्रण, एकांत संगीत, मिलन-यामिनी, आरती और अंगारे, टूटती चट्टानें, रूप तरंगिणी (माझी कविता-संग्रह) और आत्मकथा के चार खंड : क्या भूलूं क्या याद करूँ, नीड़ का निर्माण फिर, बसेरे से र, दशद्वार से सोपान तक।

बच्चन साहित्य अकादमी पुरस्कार, सोवियत भाभ नेहरू पुरस्कार और सरस्वती सम्मान से सम्मानित हुए।

प्रस्तुत कविता में कवि ने संघषमय जीवन का ‘आग्न पथ’ कहते हुए मनुष्य के दिया है कि राह में सुख रूपी छाँह की चाह न कर अपनी मंजिल की ओर कर्मठता थकान महसूस किए बढ़ते ही जाना चाहिए कविता में शब्दो की पुनरावृत्ति कैसे मनुष बढ़ने की प्रेरणा देती है, यह देखने योग्य है।

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