NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा प्रश्न और उत्तर

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 16 Yamraj ki disha Questions and Answers

भारतीय समाज में परंपरा से यह विश्वास चला आया है कि यमराज मृत्यु का देवता है और उसका निवास दक्षिण दिशा में है। इसलिए दक्षिण को यमराज की दिशा कहा जाता है। परिवार में बड़े लोग दक्षिण की ओर पैर करके न सोने की सलाह देते हैं। इसी विश्वास को कविता का विषय बनाया गया है। कवि का मानना है कि आज मृत्यु की दिशा केवल दक्षिण नहीं है। समाज में हत्यारे किसी भी दिशा में बसे हुए मिल जाएंगे। जिधर भी पैर करें, वे चाहें तो हमारी हत्या कर सकते हैं। हम कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं।

प्रश्न 1. कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल क्यों नहीं हुई?

उत्तर: कवि को बचपन में मां ने यह सिखाया था कि दक्षिण दिशा की ओर यमराज का घर होता है अतः वहां पर कभी अपने पैर करके नहीं सोना चाहिए उस तरफ पैर रखकर सोना यमराज को नाराज करने के समान है मां द्वारा मिली इस सीख के कारण कभी को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल नहीं हुई।

प्रश्न 2. कवि ने ऐसा क्यों कहा कि दक्षिण को लांग देना संभव नहीं था?

उत्तर: दक्षिण दिशा का कोई ओर छोर नहीं होता है हम यह नहीं कह सकते हैं कि इस निश्चित स्थान पर दक्षिण दिशा समाप्त हो गई है यहां पर कवि ने दक्षिण दिशा को एक शोषण के प्रतीक के रूप में जोड़ा है कि शोषण का कोई ओर छोर नहीं होता है, इससे हम बच नहीं सकते हैं इसलिए कवि ने ऐसा कहा कि कभी दक्षिण को लांग देना संभव नहीं था।

प्रश्न 3. कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा क्यों हो गई है?

उत्तर: आज मनुष्य का जीवन कहीं भी सुरक्षित नहीं रह गया है चारों और असंतोष, हिंसा और विध्वंसक ताकते फैली हुई है। एक और जहां हम सभ्यता के विकास के लिए आधुनिक आविष्कार कर रहे हैं, तो दूसरी ओर विध्वंसक हथियारों का भी उसी तरफतार से निर्माण हो रहा है। हिंसा और आतंक इतना अधिक फैल चुका है, कि अब मौत की एक दिशा नहीं है, बल्कि संसार के हर एक कोने में मौत अपना डेरा जमाए बैठी है। कवि समाज के विकास के इसी खतरनाक दशा के कारण कह रहा है कि आज हर दिशा दक्षिण दिशा बन गई है।

प्रश्न 4. भाव स्पष्ट कीजिए
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल है
और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियों का भाव यह है कि आज सामान्य जनमानस कहीं पर भी सुरक्षित नहीं है चारों और शोषण कर्ताओं ने अपना जाल बिछा रखा है वह नए नए रूपों में हमारे सामने हमारा अंत करने के लिए तत्पर है। आज के इस समय के यमराज का चेहरा भी बदल गया है, और वे अपने क्रोध भरी आंखों के साथ सभी जगह विराजमान भी है अर्थात सभी दिशाओं में मृत्यु का आतंक है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न5. कवि की माँ ईश्वर से प्रेरणा पाकर उसे कुछ मार्ग-निर्देश देती है। आपकी माँ भी समय-समय पर आपको सीख देती होंगी-

(क) वह आपको क्या सीख देती हैं?

(ख) क्या उसकी हर सीख आपको उचित जान पड़ती है? यदि हाँ तो क्यों और नहीं तो क्यों नहीं?

उत्तर: (क) मेरी मां बड़ों और औरतों का सम्मान करना, धर्म की रक्षा और ईमानदारी से जीवन व्यतीत करना यह सब सीख मुझको देती रहती है।

(ख) हां, उसकी हर सीख मुझे उचित जान पड़ती है। क्योंकि जो बड़े हमें अच्छा जीवन जीने की सीख देते हैं उनका सम्मान करना चाहिए और ईमानदारी से जीवन व्यतीत करना कोई गलत काम नहीं हैं।

प्रश्न6. कभी-कभी उचित-अनुचित निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना आवश्यक हो जाता है, इसके क्या कारण हो सकते हैं?

उत्तर: अहंकारी मनुष्य निम्न बुद्धि के कारण यह समझता है की वह जो भी करेगा उसे कोई नही देखेगा। जिसके कारण वह उन कामों को भी कर बैठता है जो अत्यंत घिनौने होते हैं। इसलिए वह सिर्फ इसी वहम मे ना रह जाए कि उसे कोई नहीं देख रहा उसे यह बताना आवश्यक हो जाता है की उसके सिवा भी कोई ऐसी सत्ता उसे देख रही है जो उसे उसके उचित-अनुचित कर्मों का फल देगी। जिससे की कोई भी कुछ भी कर्म करने से पहले अच्छे से विचार कर ले और फिर ही अंजाम दे।

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